मुंबई, दो दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नियामकीय पहल और परिसंपत्ति गुणवत्ता के रुझान से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति में वृद्धि चालू वित्त वर्ष 2024-25 और अगले वित्त वर्ष 2025-26 में घटकर 15 से 17 प्रतिशत रहने का अनुमान है। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
इस क्षेत्र की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति (एयूएम) में वित्त वर्ष 2023-24 में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। धीमी वृद्धि के बावजूद एयूएम विस्तार पिछले दशक के 14 प्रतिशत से अधिक होगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि नियामकीय माहौल और परिसंपत्ति गुणवत्ता के रुझान से संस्थाएं ‘टिकाऊ वृद्धि’ का विकल्प चुनेंगी। साथ ही वर्तमान स्थिति रणनीतियों में पुनः समायोजन की ओर ले जाएगी।
आरबीआई ने पिछले साल नवंबर में बैंकों के गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (एनबीएफसी) को दिए जाने वाले ऋण के साथ-साथ असुरक्षित ऋणों पर जोखिम भार बढ़ा दिया था।
इसके अतिरिक्त, छोटी राशि के ऋण खंड में भी हाल ही में परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
एजेंसी के मुख्य रेटिंग अधिकारी कृष्णन सीतारमण ने कहा कि नियामक परिदृश्य (जिसमें अनुपालन कार्रवाइयां भी तेज हो गई हैं) का इस क्षेत्र के संचालन के तरीके पर असर पड़ेगा। आरबीआई के कदम का मकसद व्यवस्था के स्तर पर जोखिमों को कम करना और ग्राहक संरक्षण सुनिश्चित करना है।
क्रिसिल के प्रबंध निदेशक सुबोध राय ने कहा कि समग्र स्तर पर एनबीएफसी के लिए चूक के स्तर में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है, लेकिन सूक्ष्म वित्त यानी छोटी राशि के कर्ज और असुरक्षित ऋण में कुछ वृद्धि देखी जा रही है।
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