नयी दिल्ली, 15 जून (भाषा) मई माह में खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा छह प्रतिशत से ऊपर निकल जाने के बाद रिजर्व बैंक को आर्थिक वृद्धि के समक्ष आने वाले जोखिमों को लेकर अपना ध्यान फिर से केन्द्रित करना पड़ सकता है। वैश्विक फर्म आक्सफोर्ड इकोनोमिक्स ने मंगलवार को यह कहा। हालांकि, इसके साथ ही उसने कहा कि ब्याज दर में वृद्धि की इस साल अभी संभावना नहीं लगती है।
वैश्विक अनुमान जताने वाली कंपनी का कहना है कि मई में मुद्रास्फीति के जो आंकड़े आये हैं वह सतर्क करने वाले हैं, वहीं आर्थिक स्थिति में सुधार अभी अनिश्चितता के धरातल पर है जबकि राजकोषीय समर्थन की भी ज्यादा उम्मीद नहीं है ऐसे में रिजर्व बैंक उदार मौद्रिक नीति के रुख को जल्द वापस लेने को तैयार नहीं होगा।
आक्सफोर्ड इकोनोमिक्स ने कहा, ‘‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रासफीति मई में ऊंची रही है .. यह रिजर्व बैंक को आर्थिक वृद्धि के समक्ष आने वाले जोखिमों पर गौर करने के लिये बाध्य कर सकता है। इसके बावजूद हमें लगता है कि इस साल ब्याज दर में वृद्धि की संभावना नहीं है।’’
फर्म के मुताबिक पिछले साल भी कुछ ऐसे ही मामले सामने आये थे जब आपूर्ति पक्ष में व्यवधान से मुद्रास्फीति अचानक बढ़ गई थी, इसी प्रकार के घटनाक्रम का मई में मुद्रास्फीति बढ़ने के पीछे आंशिक योगदान हो सकता है।
‘‘हालांकि, जैसा कि हमने यह कहा है कि 2021 का लॉकडाउन पहले जैसा सख्त नहीं था, इसमें लोगों की आवाजाही, सामानों और वाहनों की आवाजाही पहले से कहीं अधिक थी। इससे यह पता चलता है कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) का कुछ असर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर पड़ा इसके साथ ही मांग का भी दबाव इस दौरान बना रहा।’’
खाद्य तेलों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के बढ़ते दाम ने खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े को मई में छह माह के उच्चस्तर 6.3 प्रतिशत पर पहुंचा दिया। यह रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के तय दायरे से ऊपर है। इससे आने वाले समय में ब्याज दरों में कमी करना मुश्किल काम होगा।
सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने का काम दिया है। ऐसा करते हुये यह नीचे में दो प्रतिशत और ऊपर में छह प्रतिशत तक जा सकती है। मई 2021 में यह 6.3 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि एक माह पहले अप्रैल में यह 4.2 प्रतिशत रही थी।
भाषा
महाबीर मनोहर
मनोहर
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