कुछ इस्पात उत्पादों के आयात पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगाने का प्रस्ताव |

कुछ इस्पात उत्पादों के आयात पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगाने का प्रस्ताव

कुछ इस्पात उत्पादों के आयात पर 25 प्रतिशत का शुल्क लगाने का प्रस्ताव

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Modified Date: December 2, 2024 / 07:37 PM IST
Published Date: December 2, 2024 7:37 pm IST

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) घरेलू इस्पात उद्योग की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस्पात मंत्रालय ने सोमवार को देश में कुछ इस्पात वस्तुओं के आयात पर 25 प्रतिशत सुरक्षात्मक शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा।

सूत्रों ने कहा कि यह प्रस्ताव केंद्रीय इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के बीच राष्ट्रीय राजधानी में हुई बैठक में आया।

सूत्रों के मुताबिक, दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी और सेल, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील एवं एएमएनएस इंडिया जैसी अग्रणी इस्पात उत्पादक कंपनियों के अधिकारी भी इस बैठक में शामिल हुए।

गोयल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘भारत की वृद्धि गाथा में इन दोनों उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए उत्पादन को बढ़ावा देने, गुणवत्ता बढ़ाने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूती देने के तरीकों पर चर्चा हुई।’

कुमारस्वामी ने भी अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि दोनों मंत्रालयों ने सहयोग करने और घरेलू कंपनियों के लिए कारोबारी सुगमता सुनिश्चित करने के तरीकों पर चर्चा की।

उन्होंने कहा, ‘आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए इस्पात और भारी उद्योग क्षेत्र को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।… हमारा लक्ष्य नवाचार को बढ़ावा देना, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को बढ़ाना है।’

सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में इस्पात मंत्रालय ने घरेलू उद्योग के समक्ष आ रही समस्याओं के समाधान के लिए इस्पात के आयात पर 25 प्रतिशत सुरक्षात्मक शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा।

घरेलू इस्पात कंपनियां चुनिंदा देशों से सस्ते इस्पात आयात में आ रही तेजी को लेकर लगातार चिंता जता रही हैं। उनका कहना है कि सस्ते आयात से उनकी प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता प्रभावित हो रही है।

कुमारस्वामी ने हाल ही में पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा था कि इस्पात उद्योग ने मंत्रालय को अपनी चुनौतियों से अवगत कराया है और सरकार इस्पात आयात से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए काम कर रही है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

 

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