नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने शीतल पेय (ऐरेटिड बेवरेजेज), सिगरेट तथा तंबाकू जैसे अहितकर उत्पादों पर 35 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के प्रस्ताव को ‘‘बुरा विचार’’ करार दिया है। एसजेएम ने कहा कि इससे इन उत्पादों की तस्करी बढ़ेगी और देश को राजस्व का नुकसान होगा।
इसके अलावा, अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरकों के महासंघ (एआईसीपीडीएफ) और इंडियन सेलर्स कलेक्टिव (देश भर के व्यापार संघों तथा विक्रेताओं का प्रमुख निकाय) जैसे अन्य निकायों ने भी जीएसटी दर युक्तिकरण पर मंत्रिसमूह की सिफारिशों को लेकर चिंता जताई है।
इस महीने की शुरुआत में मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने ‘ऐरेटिड’ पेय पदार्थ, सिगरेट, तंबाकू जैसे अहितकर उत्पादों पर 35 प्रतिशत की विशेष दर से कर लगाने की सिफारिश की थी। बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने परिधानों पर कर दरों को तर्कसंगत बनाने का भी सुझाव दिया।
एसजेएम के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा, ‘‘ विलासिता और अहितकर वस्तुओं के नाम पर जीएसटी में एक और ‘स्लैब’ (दर) मुख्य तौर पर एक बुरा विचार है। यह कराधान के दक्षता सिद्धांत के खिलाफ है। अर्थशास्त्रियों के बीच पहले से ही यह जरूरत महसूस की जा रही है कि ‘स्लैब’ की वर्तमान संख्या को कम किया जाना चाहिए और उच्चतम 28 प्रतिशत ‘स्लैब’ को समाप्त किया जाना चाहिए।’’
यदि आगामी जीएसटी परिषद की बैठक में इस उच्च दर को मंजूरी दे दी जाती है, तो इससे जीएसटी और भी जटिल जाएगा तथा तस्करी को बढ़ावा मिलेगा।
राजस्थान के जैसलमेर में 21 दिसंबर, 2024 को होने वाली जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में स्वास्थ्य समेत बीमा पर जीएसटी छूट के साथ इसपर भी विचार हो सकता है।
महाजन ने तंबाकू के खिलाफ लड़ाई की बात दोहराई लेकिन कहा कि यह मुद्दा इतना सरल नहीं है और इसके लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि सिगरेट पर ऊंचे कर से एक बहुत बड़ा ‘काला बाजार’ पैदा हो गया है।
महाजन ने कहा, ‘‘ तस्करी की गई सिगरेट के इस काले बाजार का सबसे बड़ा लाभार्थी चीन है। यह वैध सिगरेट की बिक्री की तुलना में कहीं अधिक हानिकारक होगा।’’
इस तरह के उच्च कराधान के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले आर्थिक प्रभाव के बारे में भी चिंताएं व्यक्त की गईं।
अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरकों के महासंघ और इंडियन सेलर्स कलेक्टिव ने भी इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि इससे छोटे खुदरा विक्रेताओं को नुकसान होगा, उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ेगा तथा कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा।
एआईसीपीडीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल ने कहा, ‘‘ हम सरकार से जीएसटी अनुपालन को सरल बनाने, दरों को सोच-समझकर कम करने और एक स्थिर, न्यायसंगत कारोबारी माहौल सुनिश्चित कर उनके कल्याण को प्राथमिकता देने का आह्वान करते हैं।’’
इंडियन सेलर्स कलेक्टिव ने भी 35 प्रतिशत कर के प्रस्ताव का विरोध किया है।
इसके सदस्य एवं राष्ट्रीय समन्वयक अभय राज मिश्रा ने कहा, ‘‘ यदि आगामी जीएसटी परिषद की बैठक में जीओएम की सिफारिशों को स्वीकार किया जाता है, तो जीएसटी व्यवस्था के सभी लाभ समाप्त हो जाएंगे तथा भारत के विशाल पुराने खुदरा विक्रेता नेटवर्क को नुकसान पहुंचेगा।’’
भाषा निहारिका अजय
अजय
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