नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) रियल एस्टेट क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग में वृद्धि के कारण संपत्ति-प्रौद्योगिकी यानी प्रॉपटेक बाजार 2047 तक कई गुना बढ़कर लगभग 600 अरब डॉलर होने का अनुमान है। फिलहाल यह बाजार 10.5 अरब डॉलर का है।
जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों के शीर्ष निकाय कनफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (क्रेडाई) और ईवाई की संयुक्त रिपोर्ट में यह कहा गया है।
क्रेडाई के 25वें स्थापना दिवस पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में रियल एस्टेट बाजार आकार 2047 तक 4,800 अरब डॉलर को पार कर जाने का अनुमान है, जो वर्तमान में लगभग 300 अरब डॉलर है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2047 में देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का आकार 26,000 अरब डॉलर होने का अनुमान है। इसमें रियल एस्टेट क्षेत्र का योगदान 18 प्रतिशत से अधिक होगा। फिलहाल इस क्षेत्र की देश के जीडीपी में हिस्सेदारी लगभग आठ प्रतिशत है।
क्रेडाई-ईवाई रिपोर्ट के अनुसार, प्रॉपटेक बाजार 2047 तक लगभग 600 अरब डॉलर होने की उम्मीद है, जो कुल रियल एस्टेट क्षेत्र का 12-13 प्रतिशत होगा।
वर्तमान में, प्रॉपटेक 300 अरब डॉलर के रियल एस्टेट क्षेत्र में प्रांच प्रतिशत से भी कम का योगदान देता है
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘…प्रोपटेक का एकीकरण परिचालन दक्षता को बढ़ा रहा है, स्वचालन को व्यवस्थित कर रहा है, खर्च को कम कर रहा है और रियल एस्टेट क्षेत्र में मार्जिन में सुधार कर रहा है।’’
क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा, ‘‘भारतीय रियल एस्टेट एक बेहद महत्वपूर्ण चरण में है। क्षेत्र पर तेजी से हो रहे शहरीकरण, तकनीकी एकीकरण, पर्यावरण अनुकूल उपायों की ओर झुकाव और लगातार बढ़ते घर खरीदारों की संख्या और सरकार के विशेष ध्यान का प्रभाव है। इन सब कारणों ने निश्चित रूप से इस क्षेत्र को देश की मजबूत अर्थव्यवस्था के केंद्र बिंदु के रूप में खड़ा कर दिया है।’’
क्रेडाई के चेयरमैन मनोज गौड़ ने कहा, ‘‘जैसे-जैसे क्षेत्र तेजी से हो रहे शहरीकरण की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित हो रहा है, भारत की विकास आकांक्षाओं के अनुरूप दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ …किफायती आवास मापदंडों को फिर से परिभाषित कर और प्रमुख शहरी केंद्रों के आसपास नियोजित शहरों पर ध्यान केंद्रित कर, हम शहरी भीड़ की समस्या का समाधान करने के साथ संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित कर सकते हैं और भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग के लिए आवास को अधिक सुलभ बना सकते हैं।’’
भाषा रमण अजय
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