खराब आदतों के लिए काफी हद तक निजी क्षेत्र जिम्मेदार: समीक्षा |

खराब आदतों के लिए काफी हद तक निजी क्षेत्र जिम्मेदार: समीक्षा

खराब आदतों के लिए काफी हद तक निजी क्षेत्र जिम्मेदार: समीक्षा

:   Modified Date:  July 22, 2024 / 07:06 PM IST, Published Date : July 22, 2024/7:06 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) सोशल मीडिया, स्क्रीन टाइम (मोबाइल फोन और कंप्यूटर चलाने का समय) और अस्वास्थ्यकर भोजन जैसी ‘खराब आदतों’ में निजी क्षेत्र का योगदान काफी बड़ा है। ये आदतें सार्वजनिक स्वास्थ्य, उत्पादकता को कमजोर कर सकती हैं और भारत की आर्थिक क्षमता को नीचे ला सकती हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा कि ‘श्रम के स्थान पर पूंजी को प्राथमिकता देना दीर्घकालिक कॉ‍रपोरेट वृद्धि संभावनाओं के लिए हानिकारक है। इसका संदर्भ मांग की कमी का हवाला देते हुए निवेश करने में व्यवसायों द्वारा दिखाई गई अनिच्छा से है।

समीक्षा में कहा गया, “भारत की कामकाजी आयु वर्ग की आबादी को लाभकारी रोजगार पाने के लिए कौशल और अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता है। सोशल मीडिया, स्क्रीन टाइम, निष्क्रिय आदतें और अस्वास्थ्यकर भोजन एक घातक मिश्रण है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और उत्पादकता को कमजोर कर सकता है और भारत की आर्थिक क्षमता को कम कर सकता है।”

आर्थिक समीक्षा के अनुसार, “आदतों के इस मिश्रण में निजी क्षेत्र का योगदान काफी बड़ा है, और यह दूरदर्शी नहीं है।”

इसमें कहा गया है कि भारतीयों की भोजन उपभोग की उभरती आदतें न केवल अस्वास्थ्यकर हैं, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी असह्य हैं। भारत की पारंपरिक जीवनशैली, भोजन और व्यंजनों ने सदियों से यह दिखाया है कि प्रकृति और पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए स्वस्थ तरीके से कैसे रहा जाए।

समीक्षा में कहा गया, “भारतीय व्यवसायों के लिए उनके बारे में जानना और उन्हें अपनाना व्यावसायिक रूप से समझदारी भरा कदम है, क्योंकि उनके पास एक वैश्विक बाजार है जिसका दोहन करने की बजाय नेतृत्व करने की आवश्यकता है।”

रोजगार सृजन के संदर्भ में समीक्षा कहती है, “आखिरकार, निजी क्षेत्र में नौकरियां पैदा हुई हैं। भारत के कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए अबतक का सबसे अच्छा समय कभी नहीं रहा, वित्त वर्ष 2023-24 में लाभप्रदता 15 साल के उच्चतम स्तर पर रही। वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 2022-23 के बीच मुनाफा चार गुना हो गया।”

आर्थिक समीक्षा में कहा गया, “व्यवसाय कभी-कभी मांग की कमी का हवाला देते हुए निवेश करने से कतराते हैं। ऐसा बाहरी और आंतरिक कारकों जैसे कि कमजोर रोजगार और आय वृद्धि के कारण हो सकता है।”

समीक्षा के अनुसार, “श्रम के बजाय पूंजी को प्राथमिकता देना दीर्घकालिक कॉरपोरेट वृद्धि संभावनाओं के लिए हानिकारक है। पूंजी और श्रम के उपयोग के बीच सही संतुलन बनाना व्यवसायों के लिए खुद के प्रति दायित्व है। साथ ही, आय में पूंजी और श्रम का हिस्सा उचित होना चाहिए।”

भाषा अनुराग अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)