मोदी सरकार में निजी निवेश, व्यापक उपभोग पटरी से उतरे: कांग्रेस |

मोदी सरकार में निजी निवेश, व्यापक उपभोग पटरी से उतरे: कांग्रेस

मोदी सरकार में निजी निवेश, व्यापक उपभोग पटरी से उतरे: कांग्रेस

:   Modified Date:  November 10, 2024 / 11:30 AM IST, Published Date : November 10, 2024/11:30 am IST

नयी दिल्ली, 10 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने रविवार को दावा किया कि भारत लगातार आय में स्थिरता के कारण ‘मांग संकट’ का सामना कर रहा है।

मुख्य विपक्षी दल ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान लगातार जीडीपी वृद्धि को गति देने वाला निजी निवेश और व्यापक उपभोग का ‘दोहरा इंजन’ मोदी सरकार के पिछले दस वर्षों में ‘पटरी से उतर गया’ है।

कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने सरकार से कहा कि वह कांग्रेस के प्रस्तावों को स्वीकार करे, जिसमें ग्रामीण भारत में आय वृद्धि को गति देने के लिए मनरेगा मजदूरी को न्यूनतम 400 रुपये प्रतिदिन तक बढ़ाना, किसानों के लिए एमएसपी और ऋण माफी की गारंटी देना तथा महिलाओं के लिए मासिक आय सहायता योजना शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि समय बीतने के साथ ही भारत के घटते उपभोग की त्रासदी अधिक स्पष्ट होती जा रही है।

उन्होंने एक बयान में कहा कि पिछले सप्ताह, भारतीय उद्योग जगत के कई सीईओ ने ‘सिकुड़ते’ मध्य वर्ग पर चिंता जताई थी और अब, नाबार्ड के अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण (एनएएफआईएस) 2021-22 के नए आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत के मांग संकट की वजह लगातार आय में स्थिरता है।

रमेश ने सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि औसत मासिक घरेलू आय कृषि परिवारों के लिए 12,698 रुपये से 13,661 रुपये और गैर-कृषि परिवारों के लिए 11,438 रुपये है।

उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अनुमानित प्रति व्यक्ति आय 2,886 रुपये प्रति माह है, जो प्रतिदिन 100 रुपये से भी कम है। इसलिए ज्यादातर भारतीयों के पास बुनियादी जरूरतों के अलावा विवेकाधीन उपभोग के लिए बहुत कम पैसा है।

उन्होंने दावा किया, ”लगभग हर सबूत इसी निष्कर्ष की ओर इशारा करते हैं कि औसत भारतीय आज 10 साल पहले की तुलना में कम खरीद सकता है। यह भारत की खपत में मंदी का मूल कारण है।”

श्रम ब्यूरो के वेतन दर सूचकांक के आंकड़ों का हवाला देते हुए, रमेश ने कहा कि 2014 से 2023 के बीच मजदूरों की वास्तविक मजदूरी स्थिर रही और वास्तव में 2019 से 2024 के बीच इसमें गिरावट आई।

उन्होंने कृषि मंत्रालय के कृषि सांख्यिकी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कृषि मजदूरों की वास्तविक मजदूरी हर साल 6.8 प्रतिशत बढ़ी।

रमेश ने कहा, ”मोदी के कार्यकाल में कृषि मजदूरों की वास्तविक मजदूरी हर साल -1.3 प्रतिशत घटी।”

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण श्रृंखला के आंकड़ों का हवाला देते हुए, रमेश ने कहा कि समय के साथ औसत वास्तविक आय 2017 से 2022 के बीच स्थिर रही है।

उन्होंने सेंटर फॉर लेबर रिसर्च एंड एक्शन के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि ईंट भट्टों में काम करने वाले श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी 2014 से 2022 के बीच स्थिर रही या कम हो गई।

उन्होंने दावा किया कि खपत में यह मंदी हमारी मध्यम अवधि और दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता को नष्ट कर रही है।

रमेश ने दलील दी कि खपत में पर्याप्त वृद्धि के बिना भारत का निजी क्षेत्र नए उत्पादन में निवेश करने के लिए इच्छुक नहीं होगा।

भाषा पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)