Dal Price Expensive till October: नई दिल्ली। बढ़ते महंगाई को लेकर आम आदमी की टेंशन और बढ़ने वाली है। खाने पीने की चीजों के दाम तो सातवें आसमान में पहुंच गए हैं। लेकिन आपको बता दें कि आम जनता को एक बार फिर बड़ा झटका लगने वाला है। आम आदमी के थाली से दाल खिसक सकती है। इसका मतलब ये है कि दालों के दामों में जनता को राहत जल्दी नहीं मिलने वाली है। इनकी कीमतों में फिलहाल नरमी आने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि दालों की सप्लाई उनकी डिमांड के हिसाब से नहीं हो पा रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञों के हवाले से यह आशंका जाहिर की गई है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि देश में दालों की कीमतें तब तक ज्यादा बनी रह सकती हैं, जब तक कि बाजार में नई फसल की आपूर्ति न शुरू हो जाए। नई फसलों की आवक अक्टूबर महीने में जाकर शुरू होगी। ऐसे में जनता को अक्टूबर तक महंगाई से राहत नहीं मिलने वाली है।
वहीं बाजार विशेषज्ञ का कहना है कि देश में अभी दालों की जितनी डिमांड है, उतनी सप्लाई नहीं हो पा रही है। मांग और आपूर्ति के असंतुलन के चलते दालों की कीमतें टाइट चल रही हैं। दालों की महंगाई के उच्च स्तर पर बने रहने से ओवरऑल खाद्य महंगाई पर भी असर हो रहा है।
अभी सरकार की ओर से दालों की कीमतों को काबू करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पा रही है। भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन खपत उत्पादन से भी ज्यादा है। ऐसे में भारत को दालों का आयात करना पड़ जाता है। 2022-23 के फसल वर्ष में देश में दालों का अनुमानित उत्पादन 26.05 मिलियन टन था, जबकि खपत का अनुमान 28 मिलियन टन था।
Dal Price Expensive till October: अगर मौजूदा समय में दाल के रेट की बात करें तो अभी बाजार में अरहर, चना, उड़द दालों में ज्यादा महंगाई दिख रही है। अप्रैल महीने में दालों की महंगाई 16.8 फीसदी रही थी। सबसे ज्यादा 31.4 फीसदी महंगाई अरहर दाल में थी। इसी तरह चना दाल में 14.6 फीसदी और उड़द दाल में 14.3 फीसदी की दर से महंगाई थी। फूड बास्केट में दालों का योगदान 6 फीसदी के आस-पास रहता है।