नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में डिजिटल संचालन मंच ‘प्रगति’ ने देश में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्रियान्वयन के तौर-तरीकों में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। यह बात ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और गेट्स फाउंडेशन के एक अध्ययन में सामने आई है।
अध्ययन में कहा गया है कि ‘सक्रिय शासन और समय पर कार्यान्वयन’ (प्रगति) ने वरिष्ठतम स्तर पर जवाबदेही को बढ़ावा और संघीय और क्षेत्रीय सहयोग को समर्थन दिया है। इससे देश भर में 205 अरब डॉलर की 340 परियोजनाओं में तेजी और दशकों से चल रही देरी में कमी आई है।
यह निष्कर्ष सोमवार को भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) बेंगलुरू द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में जारी किए गए। संगोष्ठी में शिक्षा जगत और सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के दिग्गज एकत्रित हुए। इस दौरान इस बात पर चर्चा की गई कि डिजिटल संचालन व्यवस्था किस प्रकार बुनियादी ढांचे के विकास में परिवर्तन ला सकती है।
‘ठहराव से वृद्धि तक: किस प्रकार नेतृत्व भारत के प्रगति परिवेश को प्रगति की शक्ति बदला’ शीर्षक वाले इस अध्ययन में बताया गया कि 340 परियोजनाओं में से कई परियोजनाएं तीन से 20 साल तक की देरी से चल रही थीं।
अध्ययन में पाया गया है कि यह नया मॉडल न केवल अस्पष्टता की परतों को दूर करता है, बल्कि इसमें गड़बड़ी करने वालों के नाम सार्वजनिक करने के प्रावधान भी शामिल है। यह अधिकारियों को सीधे तौर पर जवाबदेह बनाता है।
इससे पता चला है कि मंत्रालय और विभाग अब नागरिक शिकायतों के प्रति अधिक संवेदनशील हो गए हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनके प्रदर्शन की उच्चतम स्तर पर समीक्षा की जाएगी और आंकड़ों पर आधारित विश्लेषण किया जाएगा।
अध्ययन के अनुसार ‘प्रगति’ के माध्यम से ‘टीम इंडिया’ के दृष्टिकोण को और बढ़ाने की क्षमता मौजूद है।
भाषा अनुराग रमण
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