नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) दिसंबर महीने में कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल का आयात घटने के बीच मौजूदा दाम ऊंचा बने रहने की वजह से मांग कमजोर रहने के कारण देश के तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली। डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग रहने से सोयाबीन तिलहन कीमत भी गिरावट के साथ बंद हुए। बाजार सूत्रों ने यह कहा।
दूसरी ओर, शिकागो एक्सचेंज के मजबूत रहने से सोयाबीन तेल के दाम में मजबूती रही। नये फसल की आमद से पहले सरसों तेल-तिलहन के अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बिकवाली की विवशता के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। कमजोर कामकाज की वजह से बिनौला तेल भी पूर्वस्तर पर बंद हुए।
मलेशिया एक्सचेंज दोपहर 3.30 बजे बेहद मामूली सुधार के साथ बंद हुआ जबकि शिकागो एक्सचेंज कल रात ल्रगभग 3.5 प्रतिशत कमजोर बंद हुआ था और फिलहाल यहां सुधार है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि देश में आयात किये जाने वाले खाद्यतेलों मे पाम, पामोलीन की जो हिस्सेदारी हुआ करती थी, वह दिसंबर माह के दौरान लगभग 48 प्रतिशत घटी है। मौजूदा वक्त में सीपीओ का भाव सोयाबीन के लगभग बराबर चल रहा है जबकि पामोलीन तेल का भाव सोयाबीन तेल से लगभग 30 डॉलर नीचे हो गया है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सीपीओ का भारत में दाम 1,135-1,140 डॉलर प्रति टन बैठता है जबकि पामोलीन का भाव 1,105 डॉलर प्रति टन है। सोयाबीन तेल का भी दाम लगभग 1,135 डॉलर प्रति टन बैठता है।
सूत्रों ने कहा कि सीपीओ पर ताजा आयात शुल्क मूल्य 27 रुपये किलो है जबकि पामोलीन पर 37 रुपये किलो बैठेगा। इस स्थिति में कम आयात शुल्क मूल्य होने की वजह से सीपीओ का आयात बढ़ने की संभावना है। हालांकि यह आयात तभी बढ़ेगा जब सोयाबीन तेल के दाम से सीपीओ और अधिक सस्ता होगा।
मौजूदा दाम सोयाबीन के आसपास रहने की वजह से फिलहाल लिवाली कमजोर हैं। इसके कारण पाम, पामोलीन में गिरावट है। यह स्थिति देश में लगे प्रसंस्करण मिलों के चलने के लिए भी अनुकूल है। पहले सीपीओ से सस्ता बैठने के कारण आयातक पामोलीन का आयात अधिक करते थे जिसमें प्रसंस्करण मिलों का कामकाज कम हो जाता था।
मंहगे दाम के कारण देश के डीओसी की मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तिलहन में भी गिरावट है। जब तक डीओसी का बाजार नहीं होगा सोयाबीन खपेगा नहीं। इसी वजह से हाजिर बाजार में सोयाबीन को तिलहन किसान एमएसपी से लगभग 15 प्रतिशत नीचे दाम पर बेचने को विवश हो रहे हैं। दूसरी ओर शिकागो एक्सचेंज में सुधार आने के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में मजबूती रही।
सूत्रों ने कहा कि अगले महीने सरसों की नयी फसल आने से पहले सरसों तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए। जबकि मूंगफली का हाजिर दाम एमएसपी से 15-20 प्रतिशत तक नीचे रहने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम भी पूर्ववत बने रहे। बिनौला खल के दाम में सुधार रहने के बीच बिनौला तेल के दाम भी यथावत बने रहे। पूरे देश में कपास की आवक घट रही है। जो कपास बचा भी है उसे मजबूत किसानों ने स्टॉक कर रखा है जो सोच-समझकर बिकवाली कर रहे हैं।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,525-6,575 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 5,850-6,175 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,105-2,405 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,295-2,395 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,295-2,420 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,275 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,575 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,100 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,050 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,325-4,375 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,025-4,125 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश रमण
रमण
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