एमएसएमई का केवल सात प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को आवंटितः आरबीआई कार्यकारी निदेशक |

एमएसएमई का केवल सात प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को आवंटितः आरबीआई कार्यकारी निदेशक

एमएसएमई का केवल सात प्रतिशत ऋण महिला उद्यमियों को आवंटितः आरबीआई कार्यकारी निदेशक

:   Modified Date:  July 5, 2024 / 06:40 PM IST, Published Date : July 5, 2024/6:40 pm IST

मुंबई, पांच जुलाई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कार्यकारी निदेशक नीरज निगम ने शुक्रवार को कहा कि श्रमबल में महिलाओं की कम भागीदारी वित्तीय समावेशन के प्रयासों और व्यापक आर्थिक वृद्धि में एक बड़ी बाधा है।

निगम ने कहा कि महिलाओं को अधिक कर्ज देने की भी जरूरत है। सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को दिए जाने वाले कुल ऋणों में से केवल सात प्रतिशत ही महिलाओं की अगुवाई वाले उद्यमों को आवंटित किया गया।

निगम ने कहा, ‘‘वित्तीय समावेशन और आर्थिक वृद्धि तथा विकास की राह में आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की अधिक भागीदारी बेहद जरूरी है।’’

उन्होंने आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी 32.8 प्रतिशत और पुरुषों की 77 प्रतिशत से अधिक थी।

उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को दिए गए ऋण में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल सात प्रतिशत है। यह अनुपात एमएसएमई में करीब पांचवां हिस्सा महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों का होने की तुलना में बहुत कम है।

आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने नीति आयोग और ट्रांसयूनियन सिबिल की तरफ से आयोजित ‘वित्तपोषण महिला सहयोग’ सम्मेलन में वित्तीय सेवाओं तक पहुंच पर संतोष जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) जैसी पहलों से इसमें मदद मिली है।

उन्होंने कहा कि आपूर्ति संबंधी चुनौतियों का समाधान करने के बाद मांग पक्ष के कुछ मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है। इसमें पूंजी का निम्न स्तर, श्रम भागीदारी, सामाजिक मानदंड जैसे संरचनात्मक मुद्दे शामिल हैं।

निगम ने कहा कि वित्तपोषकों द्वारा महिला उधारकर्ताओं को लेकर कुछ ‘रूढ़िवादी सोच’ भी अपनाई जाती है। महिलाओं को कर्ज अधिक जोखिम वाला समझा जाता है लिहाजा ब्याज दरें बढ़ जाती हैं। ऐसे में गिरवी रखकर कर्ज देने या कर्ज आवेदनों को सिरे से नकार देने की प्रवृत्ति देखी जाती है।

उन्होंने कहा कि कई चुनौतियों को कम करने के बाद आरबीआई ने वित्तीय समावेशन पर पहल शुरू की है। इसमें गैर-लाभकारी संगठनों के साथ मिलकर ब्लॉक स्तर पर वित्तीय साक्षरता के लिए 2,400 केंद्र खोलना और प्रमुख बैंकों के लिए हर जिले में साक्षरता केंद्र को अनिवार्य करना शामिल है।

भाषा निहारिका प्रेम

प्रेम

 

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