मुंबई, 11 अगस्त (भाषा) अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अपनी पहली टिप्पणी में रविवार को कहा कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की विधिवत जांच की है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बयान में कहा कि उसकी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने समय-समय पर संबंधित जानकारी दी और संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग रखा।
नियामक ने कहा कि उसने अदाणी के खिलाफ हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों की विधिवत जांच की है। उसकी 26 पहलुओं में से सिर्फ एक पहलू की जांच बची है और वह भी पूरी होने वाली है।
सेबी ने कहा कि बुच ने समय-समय पर ‘संबंधित खुलासे’ किए हैं, और संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग भी रखा है।
इससे पहले, बुच और उनके पति धवल ने आरोपों को निराधार बताया था। दंपति ने कहा कि हिंडनबर्ग पूंजी बाजार नियामक की विश्वसनीयता पर हमला कर रही है और चेयरपर्सन के चरित्र हनन का भी प्रयास कर रही है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि उसे संदेह है कि अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा का कारण यह हो सकता है कि बुच की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी फंडों में हिस्सेदारी थी।
अमेरिकी कंपनी ने आरोप लगाया कि बुच और उनके पति धवल ने एक फंड में निवेश किया था जिसका कथित तौर पर गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस वर्ष जनवरी में दिए गए आदेश में स्वयं उल्लेख किया था कि अदाणी के खिलाफ 26 में से 24 जांच पूरी हो चुकी हैं। उसने कहा कि मार्च में एक और जांच पूरी हो गई है तथा अंतिम जांच अब पूरी होने वाली है।
नियामक ने कहा कि उसने अपनी जांच के तहत जानकारी मांगने के लिए 100 से अधिक समन, करीब 1,100 पत्र और ईमेल जारी किए हैं। करीब 12,000 पन्नों वाले 300 से अधिक दस्तावेजों की जांच की गई है।
वहीं सेबी प्रमुख और उनके पति ने एक संयुक्त बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इसे पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है।
बुच दंपति ने कहा, ‘‘रिपोर्ट में लगाए गए आरोप पूरी तरह से आधारहीन और बेबुनियाद हैं। इनमें तनिक भी सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब की तरह है। सभी जरूरी खुलासे पहले ही वर्षों से सेबी को दिये जा चुके हैं। हमें किसी भी वित्तीय दस्तावेज का खुलासा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।’’
बुच ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, उसी के जवाब में हमें ही घेरने और चरित्र हनन करने का प्रयास किया गया है।’’
बुच दंपति ने रविवार शाम को जारी एक विस्तृत बयान में कहा कि आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट के एक फंड में उनका निवेश सिंगापुर स्थित निजी नागरिक के रूप में किया गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि माधवी के सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से दो साल पहले यह निवेश किया गया था।
इसके साथ ही दंपति ने कहा कि 2019 से ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार धवल निजी इक्विटी फर्म के रियल एस्टेट पक्ष से नहीं जुड़े हैं।
बयान के मुताबिक, वर्ष 2017 में सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में माधवी की नियुक्ति के तुरंत बाद उनकी दो परामर्श कंपनियां निष्क्रिय हो गईं थीं।
अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं से छेड़छाड़ करने वाला बताते हुए रविवार को कहा कि उसका बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन या उनके पति के साथ कोई वाणिज्यिक संबंध नहीं है।
अदाणी समूह ने शेयर बाजार को दी एक सूचना में कहा, ‘हिंडनबर्ग के नए आरोप सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचनाओं का दुर्भावनापूर्ण, शरारती और छेड़छाड़ करने वाला चयन है। ऐसा तथ्यों और कानून की अवहेलना करते हुए निजी मुनाफाखोरी के लिए पूर्व-निर्धारित निष्कर्षों पर पहुंचने के इरादे से किया गया है।’
समूह ने कहा, ‘हम अदाणी समूह के खिलाफ इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। ये उन अस्वीकार किए जा चुके दावों का दोहराव हैं जिनकी गहन जांच की गई है, जो निराधार साबित हुए हैं और जनवरी, 2024 में उच्चतम न्यायालय द्वारा पहले ही खारिज कर दिए गए हैं।’
हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख बुच और उनके पति धवल बुच के पास उस विदेशी कोष में हिस्सेदारी है, जिसका इस्तेमाल अदाणी समूह में धन की कथित हेराफेरी के लिए किया गया था।
हिंडनबर्ग के मुताबिक, बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूक की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
हिंडनबर्ग ने जनवरी, 2023 में जारी अपनी पिछली रिपोर्ट में अदाणी समूह पर वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी और शेयरों की कीमतें चढ़ाने के लिए विदेश कोष के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे।
अदाणी समूह ने हालांकि इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है।
इस बीच, कांग्रेस ने केंद्र से अदाणी समूह की नियामकीय जांच में हितों के सभी टकरावों को खत्म करने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है।
मुख्य विपक्षी दल ने देश के शीर्ष अधिकारियों की कथित मिलीभगत का पता लगाने और ‘घोटाले’ की पूरी जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की भी मांग की है।
परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी 360 वन ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में किए गए दावों पर रविवार को कहा कि उसके पूर्ववर्ती आईपीई-प्लस फंड-1 ने अदाणी समूह के शेयरों में कोई निवेश नहीं किया था।
कंपनी 360 वन (पूर्व में आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट) ने एक बयान में कहा कि सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति का इस निवेश फंड में कुल प्रवाह का 1.5 प्रतिशत से भी कम निवेश था और किसी भी निवेशक की निवेश निर्णयों में कोई संलिप्तता नहीं थी।
इस बीच, म्यूचुअल फंड उद्योग निकाय एम्फी ने रविवार को सेबी प्रमुख बुच का समर्थन किया।
एम्फी ने कहा, “नियामक की चेयरपर्सन पर हाल की टिप्पणियों ने न केवल भारतीय पूंजी बाजार में माधबी बुच के योगदान को कम करने का प्रयास किया है, बल्कि यह हमारे देश की आर्थिक प्रगति को भी कमजोर करता है। बाजार पारिस्थितिकी में विश्वास की कमी पैदा करने वाले प्रयासों को वास्तव में ऐसे देखा जाना चाहिए कि ये अतीत की अलग-अलग घटनाओं को जोड़कर सनसनी पैदा करने का प्रयास हैं।”
भाषा पाण्डेय
पाण्डेय
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