नोएडा, 21 जुलाई (भाषा) पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में रियल एस्टेट डेवलपर को उम्मीद है कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में उनके क्षेत्र को ‘उद्योग’ का दर्जा दिया जाएगा, ताकि उन्हें कोष तक आसान पहुंच मिल सके और सीमेंट पर 28 प्रतिशत कर सहित जीएसटी से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो सके।
डेवलपर सरकार से वित्तीय प्रोत्साहनों के रूप में आगे भी समर्थन की मांग कर रहे हैं। इसमें आगामी बजट में मजबूत नियामक ढांचे, सुव्यवस्थित अनुमोदन प्रक्रिया के माध्यम से पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
उद्योग संगठन क्रेडाई के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सचिव दिनेश गुप्ता ने कहा कि कर प्रोत्साहन, बेहतर कर ढांचे और एकल खिड़की मंजूरी नीति के साथ रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने से घरेलू और विदेशी दोनों स्रोतों से और अधिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
भूटानी समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशीष भूटानी ने कहा कि देश के रियल एस्टेट क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान यूरोप या चीन की तुलना में काफी कम है और उन्होंने इसे 2047 तक 30 प्रतिशत तक ले जाने की वकालत की।
इरोस ग्रुप के निदेशक अवनीश सूद ने कहा कि रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा मिलना और किफायती आवास के लिए प्रोत्साहन मिलना प्रमुख अपेक्षाएं हैं।
मिगसन समूह के प्रबंध निदेशक यश मिगलानी ने कहा कि प्रमुख उपभोग्य वस्तु सीमेंट पर जीएसटी 28 प्रतिशत है, जो कुल सीमेंट लागत का लगभग एक तिहाई है। यह एक बड़ी चिंता का विषय है।
इसबीच रियल एस्टेट परामर्श कंपनी एनारॉक ने कहा है कि अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भूमि अधिग्रहण धीमा रहा और इस अवधि के दौरान 325 एकड़ भूमि के केवल 25 सौदे ही पूरे हुए। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य कारण ऊंची कीमतें और आम चुनाव थे।
इसके विपरीत, एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में 29 भूमि सौदे हुए थे, जिनमें 721 एकड़ भूमि शामिल थी।
एनारॉक ने बताया कि आम चुनावों और भूमि की बढ़ती कीमतों के कारण 2024 की दूसरी तिमाही में डेवलपर्स और अन्य संस्थाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की इच्छा कम हो गई है।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय
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