बिल्डर वित्तीय अनुशासन बनाए रखें तो कोई भी परियोजना विफल नहीं हो सकती: हरियाण रेरा के सदस्य |

बिल्डर वित्तीय अनुशासन बनाए रखें तो कोई भी परियोजना विफल नहीं हो सकती: हरियाण रेरा के सदस्य

बिल्डर वित्तीय अनुशासन बनाए रखें तो कोई भी परियोजना विफल नहीं हो सकती: हरियाण रेरा के सदस्य

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Modified Date: July 10, 2024 / 05:16 PM IST
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Published Date: July 10, 2024 5:16 pm IST

नयी दिल्ली, 10 जुलाई (भाषा) हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण की गुरुग्राम पीठ के सदस्य संजीव कुमार अरोड़ा ने कहा है कि यदि डेवलपर शुरू से ही वित्तीय अनुशासन बनाए रखें तो कोई भी रियल एस्टेट परियोजना विफल नहीं हो सकती है।

विकसित भारत के लिए रियल एस्टेट के बदलती माहौल पर उद्योग मंडल एसोचैम के राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने मांग को बढ़ावा देने के लिए आवास ऋण पर ब्याज दरों में कमी की भी वकालत की।

अरोड़ा ने कहा, ‘‘ मेरा मानना ​​है कि कोई भी परियोजना विफल नहीं हो सकती, बशर्ते प्रवर्तक परियोजना के शुरू से ही वित्तीय अनुशासन बनाए रखने और ऋण-इक्विटी का अनुपात बनाए रखने की कोशिश करें…अगर प्रवर्तक परियोजना के शुरू से ही वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हैं तो कोई भी परियोजना विफल नहीं हो सकती।’’

उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में रियल एस्टेट क्षेत्र की भूमिका, खासकर रोजगार के अवसरों के सृजन पर भी अपने विचार रखे।

अरोड़ा ने कहा, ‘‘ ब्याज दरों तथा ऋण दरों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। एक बार ऋण दरें कम हो जाएं तो निश्चित रूप से निवेशक या मकान खरीदार आगे आते हैं। बिल्डर भी कम से कम संभव लागत पर मकान देने को तैयार रहते हैं।’’

रियल एस्टेट कानून रेरा के बारे में बात करते हुए हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (हरेरा) की गुरुग्राम पीठ के सदस्य अरोड़ा ने कहा कि रेरा के लागू होने के बाद से समूचे भारत में इसके तहत करीब 1,25,000 परियोजनाएं पंजीकृत की गई हैं, जबकि 75,000 ब्रोकर द्वारा भी पंजीकरण कराया गया है।

एसोचैम में रियल एस्टेट, आवास व शहरी विकास पर राष्ट्रीय परिषद के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि भारत को शीर्ष अर्थव्यवस्था बनाने के लिए यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट 24 लाख करोड़ रुपये का बाजार है और इसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 13.8 प्रतिशत का योगदान है।

अर्बनब्रिक डेवलपमेंट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विनीत रेलिया ने कहा कि यदि सरकार आने वाले वर्षों में सामर्थ्य के संबंध में इस क्षेत्र को समर्थन नहीं देती है तो इसमें मंदी आ सकती है।

भाषा निहारिका अजय

अजय

 

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