कारोबारी घरानों को बैंक खोलने की मंजूरी देने की कोई योजना नहींः आरबीआई गवर्नर |

कारोबारी घरानों को बैंक खोलने की मंजूरी देने की कोई योजना नहींः आरबीआई गवर्नर

कारोबारी घरानों को बैंक खोलने की मंजूरी देने की कोई योजना नहींः आरबीआई गवर्नर

:   Modified Date:  July 19, 2024 / 04:02 PM IST, Published Date : July 19, 2024/4:02 pm IST

मुंबई, 19 जुलाई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक के पास फिलहाल कारोबारी घरानों को बैंक खोलने की मंजूरी देने की कोई योजना नहीं है।

दास ने आर्थिक समाचारपत्र ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ की तरफ से यहां आयोजित ‘मॉडर्न’ बीएफएसआई (बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा) सम्मेलन में कहा कि कारोबारी घरानों को बैंकों का प्रवर्तन करने की अनुमति देने से हितों के टकराव और संबंधित पक्षों के लेनदेन से जुड़ा जोखिम बढ़ जाता है।

आरबीआई गवर्नर ने बैंकों के गठन की कारोबारी घरानों को मंजूरी देने संबंधी किसी योजना के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘इस समय, उस दिशा में कोई विचार नहीं है।’

आरबीआई ने लगभग एक दशक पहले बैंकों के लाइसेंस देने की प्रक्रिया के अंतिम दौर में कई बड़े कारोबारी समूहों को नए बैंकों का लाइसेंस देने के अयोग्य घोषित कर दिया था।

हालांकि देश की वृद्धि आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूंजी जुटाने की कारोबारी घरानों की क्षमता को देखते हुए आरबीआई के एक कार्य समूह ने वर्ष 2020 में इस मुद्दे पर नए सिरे से चर्चा शुरू की थी।

आरबीआई गवर्नर ने बैंक को अन्य व्यवसायों से इतर बताते हुए कहा कि दुनिया भर के अनुभव से पता चला है कि यदि कारोबारी घरानों को बैंक खोलने की मंजूरी दी जाती है, तो हितों के टकराव और संबंधित पक्ष के लेन-देन से संबंधित मुद्दे आने की आशंका बनी होती है।

दास ने 1960 के दशक के अंत में बैंकों के राष्ट्रीयकरण से पहले के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय भारत में भी कारोबारी घराने बैंकिंग गतिविधियों में शामिल थे।

दास ने कहा, ‘दुनिया भर के अनुभव से पता चला है कि संबंधित पक्ष के लेन-देन की निगरानी करना या उन्हें विनियमित करना और रोकना बहुत मुश्किल होगा। इसमें शामिल जोखिम बहुत अधिक होते हैं।’

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को बढ़ने के लिए संसाधनों की जरूरत है, लेकिन हमें आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए अधिक बैंकों की जरूरत नहीं है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘भारत को बैंकों की संख्या में वृद्धि की जरूरत नहीं है। भारत को मजबूत और अच्छी तरह से संचालित बैंकों की जरूरत है और हमें लगता है कि ये प्रौद्योगिकी की मदद से पूरे देश में बचत जुटाने और ऋण जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे।’

दास ने कहा कि सामान्य बैंकों के लिए लाइसेंस की प्रक्रिया सदा सुलभ व्यवस्था के अंतर्गत है और इसके लिए आने वाले आवेदनों का स्वागत है।

दास ने कहा कि निजी ऋण क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और वर्तमान में उच्च जोखिम उठाने वाले लोगों के लिए निवेश के एक आकर्षक मार्ग के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि आरबीआई इस क्षेत्र में हो रहे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है।

उन्होंने कहा, ‘हालांकि वर्तमान में जोखिम सीमित प्रतीत होते हैं, लेकिन यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि इन बाजारों में कमजोरियां और परस्पर जुड़ाव नकारात्मक झटकों को बढ़ा सकते हैं और वित्तीय स्थिरता संबंधी चिंताएं पैदा कर सकते हैं।’

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)