नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) अबू धाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (आईएचसी) ने कहा कि अदाणी समूह के संस्थापक चेयरमैन गौतम अदाणी पर अमेरिका में अभियोग के बावजूद समूह में निवेश को लेकर उसका नजरिया बदला नहीं है।
अदाणी समूह के प्रमुख विदेशी निवेशकों में से एक आईएचसी ने एक बयान में कहा, ‘‘ अदाणी समूह के साथ हमारी साझेदारी हरित ऊर्जा और टिकाऊ क्षेत्रों में उनके योगदान में हमारे विश्वास को दर्शाती है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘ हमारे सभी निवेशों की तरह हमारा दल प्रासंगिक जानकारी और घटनाक्रम का मूल्यांकन करना जारी रखे हुए है। इस समय इन निवेशों पर हमारा नजरिया यथावत है।’’
आईएचसी ने अप्रैल 2022 में अक्षय ऊर्जा शाखा अदाणी ग्रीन एनर्जी लि. (एजीईएल) और बिजली कंपनी अदाणी ट्रांसमिशन में करीब 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था। उसने समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज में एक अरब डॉलर का निवेश किया था। हालांकि बाद में बाद में, उसने एजीईएल में अपनी 1.26 प्रतिशत हिस्सेदारी और एटीएल (जिसे अब अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड कहा जाता है) में 1.41 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच दी थी लेकिन अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर पांच प्रतिशत की थी।
इससे पहले अदाणी समूह ने इस बात पर जोर दिया था कि अरबपति गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी पर कथित रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है। बल्कि उन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी के तहत आरोप लगाया गया है जिसमें मौद्रिक दंड लगाया जा सकता है।
एजीईएल पर आरोप है कि सौर ऊर्जा बिक्री ठेका हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रिश्वत दी गई, जिससे कंपनी को 20 वर्ष की अवधि में दो अरब अमेरिकी डॉलर का लाभ हो सकता था।
कंपनी ने कहा कि एजीईएल के तीन अधिकारियों पर केवल प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश, वायर धोखाधड़ी की साजिश और प्रतिभूति धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। आम तौर पर ऐसे आरोपों के लिए दंड रिश्वतखोरी की तुलना में कम गंभीर होते हैं।
अदाणी समूह ने पिछले सप्ताह सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह अपने बचाव के लिए हर संभव कानूनी रास्ता अपनाएगा।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा
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