नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) हिंद प्रशांत आर्थिक ढांचा (आईपीईएफ) के सदस्यों ने लॉजिस्टिक और संपर्क में सुधार सहित आपूर्ति श्रृंखला समझौते पर वार्ता को काफी हद तक पूरा कर लिया है। वाणिज्य मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने और कारोबार निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए सदस्य देशों को सहयोग करना चाहिए।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, 14 देशों के समूह आईपीईएफ की शुरुआत अमेरिका और भारत-प्रशांत क्षेत्र के अन्य भागीदार देशों ने मिलकर 23 मई को तोक्यो में की थी। व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (कर और भ्रष्टाचार रोधी जैसे मुद्दे) से संबंधित चार स्तंभों के आधार पर यह ढांचा तैयार किया गया है।
भारत व्यापार को छोड़कर सभी स्तंभों में शामिल हो गया है। अमेरिका की मेजबानी में शनिवार को डेट्रॉयट में दूसरी आईपीईएफ मंत्रिस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इस बैठक में शामिल हुए।
आईपीईएफ में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलिपीन, सिंगापुर, थाइलैंड, वियतनाम और अमेरिका सहित 14 भागीदार देश शामिल हैं। इसका लक्ष्य क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव को मजबूत करना है।
इस मंत्रिस्तरीय बैठक में आपूर्ति खंडों के तहत व्यापक स्तर पर बातचीत हुई, जबकि अन्य आईपीईएफ स्तंभों के तहत भी अच्छी प्रगति दर्ज की गई है। आपूर्ति श्रृंखला के तहत आईपीईएफ भागीदार आपूर्ति श्रृंखला को अधिक लचीला, मजबूत और अच्छी तरह से एकीकृत बनाने की मंशा रखते हैं। इस स्तंभ के तहत अपने संबोधन में गोयल ने बातचीत में तेजी लाने की सराहना की।
भाषा पाण्डेय अजय
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