महत्वपूर्ण खनिजों के लिए चीन पर निर्भरता से निपटने की जरूरतः आर्थिक समीक्षा |

महत्वपूर्ण खनिजों के लिए चीन पर निर्भरता से निपटने की जरूरतः आर्थिक समीक्षा

महत्वपूर्ण खनिजों के लिए चीन पर निर्भरता से निपटने की जरूरतः आर्थिक समीक्षा

:   Modified Date:  July 22, 2024 / 07:07 PM IST, Published Date : July 22, 2024/7:07 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) भारत को महत्वपूर्ण खनिजों के लिए चीन पर अपनी निर्भरता से पैदा हुई चुनौतियां पहचानने और उनका समाधान करने की जरूरत है। इसके अलावा हरित बदलाव की दिशा में कदम बढ़ा रहे देश को कोयले में चरणबद्ध कटौती के प्रभावों की भी जांच करनी चाहिए। आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई है।

सोमवार को संसद में पेश वित्त वर्ष 2023-24 की आर्थिक समीक्षा के मुताबिक,

भारत ने वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत की कटौती, नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों से 50 प्रतिशत की बिजली क्षमता पाने और अतिरिक्त वन एवं वृक्ष लगाकर कार्बन डाई ऑक्साइड में 2.5 से तीन गीगाटन की गिरावट लाने की प्रतिबद्धता जताई है।

इसमें महत्वपूर्ण खनिजों के लिए चीन पर निर्भरता से उत्पन्न चुनौतियों को पहचानने और उनसे निपटने की जरूरत पर बल दिया गया है। ये खनिज इलेक्ट्रिक परिवहन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए जरूरी कच्चे माल हैं।

इसने कोयले में चरणबद्ध कटौती के निहितार्थों को परखने और रेलवे के माल ढुलाई राजस्व पर कोयला-चालित बिजली संयंत्रों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के प्रभावों का अनुमान लगाने की जरूरत पर भी बल दिया।

पिछले कुछ वर्षों में भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों, खासकर संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलनों में कोयले से बनने वाली बिजली में तेजी से ‘चरणबद्ध कटौती’ के लिए कुछ विकसित देशों से बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ा है। भारत अपने बिजली उत्पादन के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से के लिए कोयले पर निर्भर है।

आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, भारत को बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए किफायती लागत पर भंडारण प्रौद्योगिकी विकसित करने की जरूरत है। देश को अपने ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा की भूमिका और हिस्सेदारी पर भी निर्णय लेने की जरूरत है।

आर्थिक समीक्षा कहती है कि भू-राजनीतिक रूप से नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों पर बल ने महत्वपूर्ण खनिजों और दुर्लभ मृदा तत्वों के संरक्षण की होड़ शुरू कर दी है। चीन ने खुद को इनमें से कई सामग्रियों के अपरिहार्य स्रोत के रूप में स्थापित किया है। संकट के समय इनकी आपूर्ति को सुनिश्चित करना चिंता का विषय है।

अगले कुछ दशकों में तांबे के साथ अन्य धातुओं की भी कमी होने की आशंका जताते हुए कहा गया है कि अधिकांश देशों के लिए ऊर्जा बदलाव की कीमत बहुत अधिक होगी। आगे चलकर स्थिति और भी बदतर हो सकती है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत को पारंपरिक और नवीकरणीय स्रोतों के बीच आवश्यक और अधिकतम ऊर्जा मिश्रण के साथ इलेक्ट्रिक परिवहन नीति की स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए और इसे व्यापक बनाने के लिए ग्रिड स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए।

इसके मुताबिक, भारत को पेट्रोल-डीजल इंजन वाले वाहनों की जगह ई-वाहनों को अपनाने के प्रभावों का भी अध्ययन करना चाहिए। यह इस लिहाज से भी जरूरी है कि केंद्र एवं राज्य सरकारों को पेट्रोल-डीजल की बिक्री से व्यापक कर राजस्व मिलता है।

भाषा प्रेम प्रेम पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)