कार्बन कटौती के लिए टिकाऊ उपभोग के तरीकों को बढ़ावा देने की जरूरतः गोयल |

कार्बन कटौती के लिए टिकाऊ उपभोग के तरीकों को बढ़ावा देने की जरूरतः गोयल

कार्बन कटौती के लिए टिकाऊ उपभोग के तरीकों को बढ़ावा देने की जरूरतः गोयल

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Modified Date: December 2, 2024 / 07:11 PM IST
Published Date: December 2, 2024 7:11 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कार्बन उत्सर्जन में कटौती और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए टिकाऊ उपभोग के तरीकों को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

गोयल ने यहां उद्योग मंडल सीआईआई की तरफ से आयोजित भागीदारी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के लोगों को ऐसे उत्पादों का उपभोग करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ हों।

उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी मौजूदा जीवनशैली के कारण कचरे और कार्बन उत्सर्जन को लेकर सजग रहने की जरूरत है। यह दुनिया के बेहतर भविष्य का मूल होगा। जब तक हम उपभोग के तौर-तरीकों पर ध्यान नहीं देते हैं, हम स्थिरता और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान नहीं कर पाएंगे।’

गोयल ने कहा कि पर्यावरणीय चुनौतियों का जन्म विनिर्माण के माध्यम से उत्सर्जित कार्बन की वजह से नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ‘असल में यह हमारे उपभोग के कारण होने वाले कार्बन उत्सर्जन का नतीजा है। दरअसल उपभोग की मांग आने पर ही विनिर्माण होता है।’

उन्होंने सुझाव दिया कि इस मांग को बेहतर और अधिक टिकाऊ तरीके से प्रबंधित किया जाना चाहिए।

इसके साथ ही गोयल ने कहा कि ‘वैश्विक दक्षिण’ (कम विकसित और विकासशील देश) वैश्विक पर्यावरणीय क्षति के लिए जिम्मेदार नहीं है, बल्कि यह उन विकसित देशों के कारण हुआ है, जिन्होंने कम लागत वाली ऊर्जा का लाभ उठाया है।

इस कार्यक्रम में इजराइल के अर्थव्यवस्था और उद्योग मंत्री एम के नीर बरकत ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंध बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत से यूएई, इजराइल होते हुए यूरोप तक जाने वाला एक गलियारा आर्थिक संबंधों को और मजबूती देगा।

इस सम्मेलन में इटली, इजराइल, भूटान, बहरीन, अल्जीरिया, नेपाल, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका, म्यांमार, कतर और कंबोडिया के वरिष्ठ मंत्रियों ने भी शिरकत की।

इस दौरान गोयल ने भारत में आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से उठाए गए कदमों का एक संकलन भी जारी किया। इस संकलन को एचएसबीसी और केपीएमजी ने तैयार किया है।

एचएसबीसी इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी हितेंद्र दवे ने कहा, ‘यह रिपोर्ट भारत के आर्थिक प्रोत्साहनों, नीतियों और सुधार परिदृश्य को समझने के लिए एक खाका पेश करती है।’

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)