सीमा शुल्क बढ़ाने की उद्योग की मांगों पर गौर करने की जरूरत: डीपीआईआईटी सचिव |

सीमा शुल्क बढ़ाने की उद्योग की मांगों पर गौर करने की जरूरत: डीपीआईआईटी सचिव

सीमा शुल्क बढ़ाने की उद्योग की मांगों पर गौर करने की जरूरत: डीपीआईआईटी सचिव

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Modified Date: December 11, 2024 / 04:54 PM IST
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Published Date: December 11, 2024 4:54 pm IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने बुधवार को कहा कि देश ने पिछले कुछ साल में शुल्क दरों में काफी कमी की है, जिससे वे वैश्विक औसत स्तर पर आ गए हैं। हालांकि घरेलू उद्योग शुल्क बढ़ाने का लगातार सुझाव दे रहे हैं।

भाटिया ने उद्योग मंडल सीआईआई के ‘वैश्विक आर्थिक नीति’ सम्मेलन’ में कहा कि इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि घरेलू उद्योग से इस तरह के अनुरोध क्यों आते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘निर्यात बाजार और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के साथ एकीकरण पर शुल्क में कमी के संदर्भ में बहुत काम किया गया है, भारांश शुल्क में काफी कमी आई है और यह लगभग वैश्विक औसत स्तर पर हैं। लेकिन निश्चित रूप से, घरेलू उद्योगों से इसे बढ़ाये जाने को लेकर दबाव है। हमें यह देखने की ज़रूरत है कि ये अनुरोध क्यों आते रहते हैं, हम पर्याप्त रूप से प्रतिस्पर्धी क्यों नहीं हैं।’’

भारत ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते भी किए हैं।

कच्चे माल पर सीमा शुल्क में कटौती से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, नौकरियां सृजित करने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इलेक्ट्रॉनिक्स, कीमती धातु और रसायन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शुल्क कम किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों से स्वच्छ ऊर्जा जैसे क्षेत्र में निजी निवेश में वृद्धि होगी।

भाटिया ने कहा, ‘‘औद्योगिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में बहुत कुछ किया गया है। देश में 4,000 से अधिक औद्योगिक पार्क हैं। कुछ राज्य औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भूमि उपलब्ध कराने में अच्छा काम कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम विचार-विमर्श करेंगे और देखेंगे कि जमीन के मोर्चे पर और क्या किया जा सकता है।’’

सचिव ने कहा कि तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों ने अधिक औद्योगिक भूमि लाने के लिए ‘लैंड पूलिंग’ के जरिये अच्छी व्यवस्था की गयी है।

इस सत्र में भारती एंटरप्राइजेज (भारत) के वाइस चेयरमैन राकेश भारती मित्तल ने कहा कि भारत में व्यापार करने की उच्च लागत उद्योग को परेशान करती है। राज्यों के स्तर पर व्यापार को अधिक सुगम बनाने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है।

इस पर भाटिया ने कहा कि कारोबारी सुगमता को लेकर राज्यों के काम का आकलन करने के लिए व्यापार सुधार कार्य योजना (बीआरएपी) मौजूद है।

भाषा रमण प्रेम

प्रेम

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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