एयरलाइन कंपनियों की दक्षता, व्यवहार्यता में सुधार लाने की जरूरत : आर्थिक समीक्षा |

एयरलाइन कंपनियों की दक्षता, व्यवहार्यता में सुधार लाने की जरूरत : आर्थिक समीक्षा

एयरलाइन कंपनियों की दक्षता, व्यवहार्यता में सुधार लाने की जरूरत : आर्थिक समीक्षा

:   Modified Date:  July 22, 2024 / 05:21 PM IST, Published Date : July 22, 2024/5:21 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) भारत का विमानन उद्योग अभूतपूर्व वृद्धि के मुहाने पर है, और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए एयरलाइन कंपनियों की दक्षता और व्यवहार्यता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 के सरकार, उद्योग हितधारकों और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व पर बल दिया गया है।

समीक्षा कहती है कि भारतीय एयरलाइंस को मजबूत करके देश से पर्याप्त लंबी दूरी का संपर्क प्रदान करने की आवश्यकता है, क्योंकि भारतीय अंतरराष्ट्रीय यातायात का एक बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के संपर्क केंद्रों से होकर गुजरता है।

समीक्षा में कहा गया कि नागर विमानन क्षेत्र को बढ़ती मांग, बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधियों, पर्यटन, खर्च योग्य आय बढ़ने, अनुकूल जनसांख्यिकीय और विमानन बुनियादी ढांचे की अधिक पहुंच से बढ़ावा मिल रहा है।

भारत तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है। यहां वित्त वर्ष 2023-24 में हवाई अड्डों पर कुल हवाई यात्रियों की संख्या सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 37.6 करोड़ रही है।

समीक्षा में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि आर्थिक वृद्धि के लिए विमानन उद्योग की वृद्धि तथा हवाई अड्डों की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया, “भारत में विमानन उद्योग अभूतपूर्व वृद्धि के शिखर पर है। भारतीय एयरलाइंस ने 1,500 से अधिक विमानों का मजबूत ऑर्डर दिया है तथा 2042 तक 2,200 से अधिक विमानों की अनुमानित मांग है।”

समीक्षा कहती है भारत को विमानन क्षेत्र में अग्रणी स्थान प्राप्त करने के लिए पर्यावरणीय अनुकूलता सुनिश्चित करते हुए एयरलाइंस की दक्षता और व्यवहार्यता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

समीक्षा के अनुसार, इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं, जिसके लिए सरकार, उद्योग हितधारकों और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है। बुनियादी ढांचे, कौशल विकास और पर्यावरण अनुकूल पहल में निवेश भारत में विमानन क्षेत्र के भविष्य के विस्तार को बढ़ावा देगा।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया, “एयरलाइन उद्योग एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र है, जो तेल की कीमतों, विनिमय दरों, महामारी, युद्ध और उपकरण संबंधी समस्याओं जैसे बाह्य झटकों के प्रति संवेदनशील है। ये झटके एयरलाइन के संचालन को प्रभावित कर सकते हैं और इसकी व्यवहार्यता को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए उन्हें और अधिक समर्थन देने के लिए एमआरओ, पट्टा और कौशल जैसे क्षेत्रों में क्षमताओं का विकास आवश्यक है।”

समीक्षा में कहा गया है कि भारत में विमानन सेवाओं का भविष्य रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल (एमआरओ) क्षेत्र और तेजी से बढ़ते ड्रोन उद्योग की वृद्धि पर निर्भर है।

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2023-24 तक लगभग 23,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि सार्वजनिक-निजी भागीदारी और अन्य हवाई अड्डा परिचालकों ने इसी अवधि के दौरान लगभग 49,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

समीक्षा में कहा गया, “भारत में हवाई अड्डों की संख्या 2014 से दोगुनी से अधिक हो गई है। हालांकि, अगले पांच साल में और अधिक हवाई अड्डों को जोड़ने के साथ-साथ मौजूदा हवाई अड्डों के विस्तार/उन्नयन के जरिये इस क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है।”

भाषा अनुराग अजय

अजय

 

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