नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) बैंक अधिकारियों की यूनियन एआईबीओसी ने वित्तीय समावेशन के विस्तार और छोटा कर्ज लेने की मंशा रखने वाले लोगों की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान देने की जरूरत बताई है।
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस की पूर्व संध्या पर बयान में कहा कि देश के विभिन्न भागों से किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही हैं। ये एनबीएफसी/साहूकारों के अत्यधिक ब्याज वसूलने तथा कृषि उत्पादों की कम कीमत के कारण हैं।
बयान के अनुसार, वित्तीय क्षेत्र को ग्रामीण इलाकों में उपस्थिति बढ़ाने की जरूरत है ताकि गरीब किसान गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और साहूकारों के जाल में नहीं फंसें।
एआईबीओसी ने कहा कि हालिया रिपोर्टों के अनुसार सिर्फ 74,000 गांवों तक ही बैंकिंग सेवाओं की पहुंच है।
एआईबीओसी के महासचिव रूपम रॉय ने कहा कि भारत में ग्रामीण गरीबों के लिए कर्ज तक पहुंच एक बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि विलय के बाद बड़े बैंकों द्वारा बड़े ग्राहकों को प्राथमिकता देने से छोटे कारोबार के लिए बैंक ऋण तक पहुंच कम हो जाती है, जिससे वे एनबीएफसी की ओर आकर्षित होते हैं।
रॉय ने कहा कि एनबीएफसी क्षेत्र में उच्च ब्याज दरें और शोषण वाले व्यवहार की संभावना छोटी और मझोली इकाइयों (एसएमई) पर भारी वित्तीय दबाव डालती है, जिससे उनकी वृद्धि और स्थिरता सीमित हो जाती है।
भाषा अनुराग अजय
अजय
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