स्वास्थ्य क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने, अनुसंधान पर खर्च बढ़ाने की जरूरत: विशेषज्ञ |

स्वास्थ्य क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने, अनुसंधान पर खर्च बढ़ाने की जरूरत: विशेषज्ञ

स्वास्थ्य क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने, अनुसंधान पर खर्च बढ़ाने की जरूरत: विशेषज्ञ

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Modified Date: January 24, 2025 / 06:41 PM IST
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Published Date: January 24, 2025 6:41 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) प्रस्तावित केंद्रीय बजट से पहले स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि सरकार क्षेत्र की सतत वृद्धि के लिए स्वास्थ्य देखभाल और इस क्षेत्र में उभरती प्रद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए उपाए करेगी।

साथ ही, उन्होंने वैज्ञानिक उपलब्धियों को हासिल करने की दिशा में तेजी लाने के लिए अनुसंधान एवं विकास में खर्च बढ़ाने का आग्रह किया है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रही संस्था ब्लॉकचेन फॉर इम्पैक्ट (बीएफआई) के संस्थापक संदीप नेलवाल ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सरकार सतत वृद्धि के लिए स्वास्थ्य सेवा और इस क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों को प्राथमिकता देगी और उपयुक्त कदम उठाएगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मजबूत बजट स्वस्थ कार्यबल की जरूरतों को पूरा कर भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा, जो उद्यमशील उपक्रमों को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे स्वास्थ्य सेवा उपकरण एवं दवा खंड में घरेलू स्तर पर नवोन्मेष और विनिर्माण भी बढ़ेगा जिससे आयात लागत कम होगी।’’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी।

आंखों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक अस्पताल चलाने वाली घरेलू कंपनी डा. बासु ग्रुप निदेशक डॉ. मनदीप सिंह बासु ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि आगामी बजट में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार को लेकर पूरा ध्यान दिया जाएगा। सरकार आयात पर निर्भरता कम करने और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य सेवा में ‘मेक इन इंडिया’ पहल का विस्तार करेगी।”

उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार से शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और देखभाल तक पहुंच बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य देखभाल खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5-3.0 प्रतिशत तक बढ़ाने का आग्रह करते हैं।

बासु ने कहा, ‘‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से शहरी-ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल असमानताओं को संबोधित करने, जांच व्यवस्था को मजबूत करने और स्वास्थ्य देखभाल में एआई को शामिल करने से सभी के लिए उपचार की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार करने में भी मदद मिलेगी।’’

नेलवाल ने अनुसंधान एवं विकास में खर्च बढ़ाने की वकालत करते हुए कहा, ‘‘अनुसंधान एवं विकास में भारत का निवेश अपने सकल घरेलू उत्पाद का 0.64 प्रतिशत रहा है, जबकि चीन में यह 2.41 प्रतिशत, अमेरिका में 3.47 प्रतिशत और इजराइल में 5.71 प्रतिशत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘… मुझे उम्मीद है कि देश वैज्ञानिक उपलब्धियों को हासिल करने की दिशा में तेजी लाने के लिए इस मद में अपने जीडीपी के कम से कम एक प्रतिशत हिस्से का निवेश करेगा।’’

भाषा अनुराग रमण

अनुराग

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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