नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को अपने महत्वाकांक्षी स्वच्छ ऊर्जा बदलाव लक्ष्य को समर्थन देने के उद्देश्य से बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त परीक्षण सुविधाएं स्थापित करनी चाहिए।
एक बयान के अनुसार, फिक्की के ऊर्जा भंडारण सम्मेलन-2024 में उन्होंने परीक्षण और प्रमाणन बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण अंतर को उजागर किया। भारत का लक्ष्य 2030 तक 238 गीगावाट घंटे से अधिक की बैटरी भंडारण क्षमता तैनात करना है ताकि इसके विस्तारित नवीकरणीय ऊर्जा नेटवर्क को संतुलित किया जा सके।
उन्होंने सरकार द्वारा भंडारण प्रमाणन एजेंसियां स्थापित किए जाने तक तीसरे पक्ष द्वारा परीक्षण और प्रमाणन को अधिकृत करने का आह्वान किया।
सारस्वत ने कहा कि भारत को सभी प्रकार की ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए एक सार्वभौमिक मानक की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि हालांकि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के लिए 17 विनिर्देश विकसित किए हैं तथा और भी विकसित किए जा रहे हैं, लेकिन देश में इन मानकों के अनुपालन को सत्यापित करने के लिए पर्याप्त सुविधाओं का अभाव है।
उन्होंने कहा कि आक्रामक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के बावजूद भारत के ऊर्जा मिश्रण में कोयले महत्वपूर्ण भूमिका बनी रहेगी। इसकी 2047 में अनुमानित क्षमता 150 गीगावाट होगी, जो वर्तमान में 218 गीगावाट से कम है।
साथ ही, 2047 तक सौर क्षमता में पर्याप्त विस्तार होने की उम्मीद है, जिसके लिए व्यापक भंडारण एकीकरण की आवश्यकता होगी।
सारस्वत ने विचाराधीन विभिन्न भंडारण प्रौद्योगिकियों का जिक्र किया, जिनमें पम्प हाइड्रो भी शामिल है। इसके तहत 60 स्थलों पर 100 गीगावाट क्षमता की संभावना की पहचान की गई है।
भाषा अनुराग रमण
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