नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने परिचालन ऋणदाता मेट्रो टायर्स की याचिका पर हीरो इलेक्ट्रिक के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है।
मेट्रो टायर्स ने हीरो इलेक्ट्रिक के खिलाफ 1.85 करोड़ रुपये की भुगतान चूक का दावा करने वाली याचिका दायर की थी।
ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों के अनुरूप एनसीएलटी ने हीरो इलेक्ट्रिक के निदेशक मंडल को निलंबित करने के बाद कंपनी के संचालन के लिए भूपेश गुप्ता को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है।
एनसीएलटी की दिल्ली पीठ ने परिचालन ऋणदाता के साथ पहले से चल रहे विवाद की हीरो इलेक्ट्रिक की दलीलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह ‘कोरी झूठी या कमजोर कानूनी दलील नहीं है।’
मेट्रो टायर्स की याचिका पर हीरो इलेक्ट्रिक की तरफ से उठाई गईं आपत्तियां ‘कानूनी रूप से मान्य’ नहीं पाई गईं। कंपनी को टायर और ट्यूब की आपूर्ति करने वाली मेट्रो टायर्स ने इन्हें विधिवत नकार दिया है।
एनसीएलटी ने अपने फैसले में कहा, “मौजूदा तथ्यों और परिस्थितियों में हमारा मानना है कि कॉरपोरेट देनदार पहले से ‘विवाद’ होने के बारे में कोई उचित तर्क नहीं दे पाया है। लिहाजा आईबीसी, 2016 की धारा नौ के तहत दायर की गई वर्तमान याचिका को स्वीकार किया जाना चाहिए।”
इसके साथ ही पीठ ने 20 दिसंबर को पारित अपने आदेश में कंपनी को किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या मध्यस्थता पैनल के आदेश या निर्णय से बचाने के लिए स्थगन की घोषणा की और इसकी परिसंपत्तियों के हस्तांतरण, अलग करने या निपटान पर रोक लगा दी।
हीरो इलेक्ट्रिक ने साइकिल टायर और ट्यूब की खरीद के लिए मेट्रो टायर्स से करार किया था। हीरो इलेक्ट्रिक को की गई आपूर्ति के एवज में नौ अगस्त, 2022 से तीन दिसंबर, 2022 तक 3.69 करोड़ रुपये के विभिन्न चालान बनाए गए, जिसमें से 4.27 लाख रुपये का भुगतान किया गया। हालांकि, हीरो इलेक्ट्रिक पर 1.85 करोड़ रुपये बकाया थे।
मेट्रो टायर्स ने कहा कि उसके कई बार अनुरोध करने के बावजूद हीरो इलेक्ट्रिक ने कुछ टायरों में समस्या बताते हुए भुगतान करने से इनकार कर दिया।
भाषा अनुराग प्रेम
प्रेम
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