सेहत के लिए लाभदायक होने से बढ़ रही सरसों तेल की लोकप्रियता: विशेषज्ञ |

सेहत के लिए लाभदायक होने से बढ़ रही सरसों तेल की लोकप्रियता: विशेषज्ञ

सेहत के लिए लाभदायक होने से बढ़ रही सरसों तेल की लोकप्रियता: विशेषज्ञ

:   Modified Date:  October 7, 2024 / 08:06 PM IST, Published Date : October 7, 2024/8:06 pm IST

नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) किसी भी अचार में प्रमुख रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले और बंगाली मछली करी से लेकर कश्मीरी ‘दम आलू’ तक कई व्यंजनों में एक विशिष्ट स्वाद पैदा करने वाले सरसों तेल के प्रति भारत का सदियों पुराना लगाव है।

विशेषज्ञों का कहना है कि तीखेपन के साथ सुगंध में बेजोड़, सरसों का तेल देश के कई हिस्सों में रसोई की एक जरूरी चीज रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, सामान्य स्वास्थ्य और विशेष रूप से हृदय के लिए इसके स्वास्थ्य लाभ ने नए ग्राहक जोड़े हैं। इसके बहुमुखी और लागत प्रभावी होने के अतिरिक्त फायदे हैं।

उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या और भारत के कुल वनस्पति तेल उत्पादन में इसकी बढ़ती हिस्सेदारी अपने आप में सब कुछ बयां करती है।

सरसों तेल ब्रांड पी मार्क मस्टर्ड ऑयल की विनिर्माता पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड के महाप्रबंधक उमेश वर्मा ने कहा, ‘‘देश में उत्पादित विभिन्न वनस्पति तेलों में सरसों तेल का उत्पादन सबसे अधिक है। सोयाबीन और मूंगफली के बाद देश में तीसरा सबसे अधिक उत्पादित तिलहन होने के बावजूद सरसों की उच्च तेल प्राप्ति इसे भारत के कुल वनस्पति तेल उत्पादन में 27 से 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ तेल उत्पादन में अग्रणी स्थान पर रखती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह मलेशिया के लिए पाम तेल, इटली के लिए जैतून का तेल और अमेरिका के लिए सोया तेल महत्व रखता है, उसी तरह सरसों तेल, भारत के लिए महत्वपूर्ण है। इस उद्योग के लिए एक दृष्टि और योजना की आवश्यकता है। हम केंद्र सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह सरसों की उच्च उत्पादकता और मूल्य संवर्धन पर ध्यान केंद्रित करते हुए नारियल विकास बोर्ड की तर्ज पर सरसों तेल विकास बोर्ड की स्थापना करे।

विदेशी – और महंगे – अंगूर के बीज के तेल, एवोकैडो तेल और अखरोट के तेल के बीच सरसों का तेल अपनी जगह बनाए हुए है।

उदाहरण के लिए, 40 की उम्र पार कर चुकी गृहिणी वंदना थपलियाल ने बताया कि वह सलाद ड्रेसिंग के लिए कभी-कभी एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल या कैनोला ऑयल की बोतल लेती हैं, लेकिन सरसों के तेल के बिना कोई भारतीय खाना नहीं बनता – कम से कम उनके घर में तो ऐसा ही है।

पेशेवर शेफ़ भी इस बात से सहमत हैं।

कैफ़े दिल्ली हाइट्स के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) और पाक निदेशक आशीष सिंह ने कहा कि सरसों के तेल का तीखा झांस वाला स्वाद एक अनूठी गहराई जोड़ता है और अचार और करी से लेकर स्टिर-फ्राई और मैरिनेड तक विभिन्न भारतीय व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाता है।

सिंह के अनुसार, इसका उच्च स्मोक पॉइंट लगभग 250 डिग्री सेल्सियस है जो इसे तलने और तड़के जैसी उच्च-ताप ​​वाली खाना पकाने की विधियों के लिए आदर्श बनाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘सरसों के तेल का उपयोग भारतीय व्यंजनों में अपने तीखे स्वाद और उच्च स्मोक पॉइंट के कारण तलने भूनने के लिए व्यापक रूप से किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसका उपयोग तड़के, अचार बनाने और अचार मसाला बनाने, मैरिनेट करने, सलाद ड्रेसिंग, व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाने, बेकिंग, करी पकाने आदि के लिए भी किया जाता है।’’

नयी दिल्ली के ‘द ललित’ के कार्यकारी शेफ रविकांत ने सरसों के तेल के रोगाणुरोधी गुणों की ओर इशारा किया, जो तले और पके हुए खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने में मदद करता है, और भारतीय खाना पकाने में इसका समृद्ध पाक इतिहास है।

उन्होंने कहा, ‘‘कई पारंपरिक व्यंजनों को इस तेल को ध्यान में रखकर बनाया गया है।’’

कांत के अनुसार, बंगाली व्यंजनों में उदारतापूर्वक इस्तेमाल किए जाने के अलावा, इस तेल का इस्तेमाल पंजाबी (‘सरसों का साग’ और ‘अमृतसरी मछली’), राजस्थानी (‘कचौरी’ और ‘गट्टे की सब्जी’), असमिया (‘मसोर टेंगा’, या खट्टी मछली की करी), कश्मीरी (‘रोगन जोश’ और ‘दम आलू’) और नेपाली व्यंजनों (‘आलू तमा’ जो आलू और बांस की टहनियों की करी है) में भी किया जाता है, जो व्यंजनों को एक खास स्वाद और चटपटापन देता है।

उन्होंने कहा, ‘‘चाहे हम कोई क्षेत्रीय व्यंजन बना रहे हों या किसी आधुनिक रेसिपी में फ्यूजन ट्विस्ट जोड़ रहे हों, सरसों का तेल व्यंजनों को एक समृद्ध, मजबूत स्वाद देने के लिए हमारी पहली पसंद है।’’

सरसों का तेल पोषण के मामले में भी सबसे ज़्यादा कारगर है।

इसलिए, स्वाद और सुगंध के अलावा, इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)