नये फसल आने की सुगबुगाहट से पहले सरसों तेल-तिलहन में गिरावट |

नये फसल आने की सुगबुगाहट से पहले सरसों तेल-तिलहन में गिरावट

नये फसल आने की सुगबुगाहट से पहले सरसों तेल-तिलहन में गिरावट

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Modified Date: January 25, 2025 / 07:33 PM IST
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Published Date: January 25, 2025 7:33 pm IST

नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) मंडियों में सरसों के नये फसल की आवक की सुगबुगाहट से पहले देश के तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन के थोक दाम टूट गये। मंहगे दाम के कारण डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग न होने से सोयाबीन तिलहन कीमत में भी गिरावट देखी गई।

दूसरी ओर बाजार में कपास की आवक घटने की वजह से बिनौला तेल के दाम सुधार के साथ बंद हुए। वहीं मंदा कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन, पैसों की तंगी के बीच आयात लागत से कम पर बिकवाली करने से सोयाबीन तेल, लिवाली ना होने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन के दाम अपरिवर्तित रहे।

बाजार सूत्रों के अनुसार सरसों की नयी फसल के फरवरी के मध्य में मंडियों में आने की संभावना है और इससे पहले इसके दाम टूटते दिखे। वहीं मंहगे दाम पर सोयाबीन डीओसी की मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तिलहन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।

उन्होंने कहा कि निरंतर कपास की घटती आवक के कारण कपास से निकलने वाले बिनौला सीड की कम पेराई होने से बिनौला तेल के दाम में सुधार आया। कपास की आवक दिसंबर के लगभग 2 लाख 40 हजार गांठ से घटकर अभी एक लाख 10 हजार गांठ रह गई है।

सूत्रों ने कहा कि आम तौर पर शनिवार को मूंगफली में कारोबार मंदा रहता है और इसके असली रुख के बारे में सोमवार के कारोबार में पता लगेगा। कमजोर कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम अपरिवर्तित रहे। पैसों की तंगी के कारण आयात की लागत से कम दाम पर बिकवाली करने की मजबूरी के बीच सोयाबीन तेल तथा ऊंचे दाम पर लिवाली प्रभावित रहने के कारण सीपीओ एवं पामोलीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर स्थिर रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार को कपास और सोयाबीन की हालत पर ध्यान देना होगा और इसका बाजार बनाने का प्रयास करना होगा, नहीं तो इसकी भी हालत सूरजमुखी वाली हो सकती है, जिस तेल के लिए देश लगभग आयात पर निर्भर हो चला है। सरसों, मूंगफली, कपास और सोयाबीन देश के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं, इनके बाजार बनाने के लिए अगर संभव हो तो सरकार को अपनी आयात-निर्यात नीति में संशोधन करना चाहिये।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,225-6,325 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,675-6,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,140-2,440 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,250-2,350 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,250-2,375 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,250 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,275-4,325 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 3,975-4,075 रुपये प्रति क्विंटल। भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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