सरसों तेल-तिलहन में गिरावट, कम आपूर्ति से आयातित तेल कीमतों में सुधार |

सरसों तेल-तिलहन में गिरावट, कम आपूर्ति से आयातित तेल कीमतों में सुधार

सरसों तेल-तिलहन में गिरावट, कम आपूर्ति से आयातित तेल कीमतों में सुधार

:   Modified Date:  September 21, 2024 / 07:09 PM IST, Published Date : September 21, 2024/7:09 pm IST

नयी दिल्ली, 21 सितंबर (भाषा) ऊंचे भाव पर मांग कमजोर रहने से देश के तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों तेल-तिलहन तथा सोयाबीन तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई वहीं कम आपूर्ति होने की वजह से सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के साथ साथ बिनौला जैसे खाद्यतेल कीमतों में सुधार देखने को मिला। ऊंचे भाव के कारण कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि ऊंचे भाव के कारण मांग कमजोर रहने के बीच सरसों तेल-तिलहन में गिरावट देखने को मिली। सहकारी संस्था नाफेड भी राजस्थान में जो सरसों की बिक्री कर रही है वह वर्ष 2023 के सरसों की फसल है। कच्ची घानी की ब्रांडेड सरसों तेल बेचने वाली तेल मिलें नेफेड के बजाय सीधे बाजार में किसानों से सरसों की खरीद कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि कल रात शिकागो एक्सचेंज में 2.5 प्रतिशत की मजबूती के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया जबकि डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग से सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में कई स्थानों पर बायो-डीजल बनाने के लिए कच्चे पामतेल का इस्तेमाल बढ़ने के कारण आने वाले कुछ वर्षो में पाम-पामोलीन की आपूर्ति की स्थिति बिगड़ सकती है और इसे देखते हुए अभी से देश का तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान केन्द्रित करना होगा। संभवत: इसी बायो-डीजल में सीपीओ के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से इस तेल का दाम सोयाबीन से भी अधिक हो चले हैं।

उन्होंने कहा कि तेल संगठनों को अक्सर आयात निर्यात का आंकड़ा जारी करते देखा जाता है। उन्हें सरकार को आगामी त्योहार के मौसम में ‘सॉफ्ट आयल’ के कम आयात की जानकारी भी देनी चाहिये थी। देश में त्योहारों के मौसम में ‘सॉफ्ट आयल’ या सोयाबीन, सूरजमुखी जैसे नरम तेलों की ही मांग रहती है और इसके आयात के आर्डर कम होने की वजह से देश में ‘सॉफ्ट आयल’ के कम आपूर्ति की स्थिति बन गई है। इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिये क्योंकि विदेशों से ‘सॉफ्ट आयल’ मंगाने में दो से ढाई महीने का वक्त लग जाता है। सरकार को इन सभी स्थितियों की खुद ही निगरानी का जिम्मा संभालना होगा ताकि किसी संकट की स्थिति से बचा जा सके।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,675-6,725 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,350-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,175-2,275 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,175-2,290 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,050 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,830-4,880 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,605-4,740 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,225 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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