आवक घटने से सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार |

आवक घटने से सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

आवक घटने से सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

:   Modified Date:  June 27, 2024 / 08:23 PM IST, Published Date : June 27, 2024/8:23 pm IST

नयी दिल्ली, 27 जून (भाषा) विदेशी बाजारों में मजबूती के रुख के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को सरसों और मूंगफली की आवक घटने की वजह से इन दोनों तेल-तिलहनों के दाम में मजबूती दिखी जबकि सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में मजबूती का रुख है। शिकॉगो एक्सचेंज रात लगभग एक प्रतिशत मजबूत रहा था और फिलहाल यहां तेजी है जबकि मलेशिया एक्सचेंज में 1-1.5 प्रतिशत की तेजी चल रही है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक कल के लगभग सवा चार लाख बोरी से घटकर आज लगभग चार लाख बोरी रह गई। इस बार सरकार की ओर से थोड़ी बहुत मात्रा में सरसों की खरीद होने के बीच कंपनियों की खरीद नहीं हो पाई और उनके पास सरसों के स्टॉक की कमी है। लेकिन कच्ची घानी बनाने वाली तेल कंपनियों के पास, जो बढ़िया सरसों तेल बनाती हैं, बेहतर गुणवत्ता वाले सरसों के स्टॉक की कमी है। इसी तरह मूंगफली की भी मंडियों में कम आवक हुई और किसान नीचे भाव में बिकवाली को राजी नहीं दिखे जिसके कारण सरसों और मूंगफली तेल के दाम में सुधार आया। लेकिन इस तेजी के बाद सरसों का भाव एमएसपी के आसपास ही है जबकि मूंगफली का भाव एमएसपी से लगभग 1-2 प्रतिशत नीचे बना हुआ है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने कल 1.5 लाख टन रैपसीड तेल (जिसपर 38.5 प्रतिशत आयात शुल्क लागू है) और 1.5 लाख टन सूरजमुखी तेल (5.5 प्रतिशत आयात शुल्क लागू) का शुल्कमुक्त आयात सरकारी एजेंसियों (नेफेड और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड या एनडीडीबी) के जरिये कराने का निर्णय लिया है। यह एक सराहनीय कदम है क्योंकि निजी आयातकों के जरिये यह आयात नहीं होगा और कीमतों की हेरफेर नहीं होगी। अगर सरकार इस तेल को राशन की दुकानों के जरिये कम आय वर्ग के उपभोक्ताओं में बंटवाने का फैसला करे तो इससे मंहगाई रुकने की संभावना हो सकती है। इसके साथ-साथ सरकार को निजी आयातकों द्वारा किये जाने वाले सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के लिए ऐसे निजी आयात पर आयात शुल्क बढ़ाकर लगाना चाहिये। इससे महंगी लागत वाले देशी तेल-तिलहनों के बाजार में खपने और देशी मिलों के चलने से सभी को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि यह निर्णय स्वागतयोग्य है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस बात को गंभीरता से लेना चाहिये कि जिस तरह से देशी फसल कपास, सोयाबीन, मूंगफली के खेती का रकबा घटने का अंदेशा है, सस्ते खाद्य तेल का आयात बढ़ा है और देशी तिलहनों की पेराई प्रभावित हुई है उससे हमारी सालाना लगभग 150 लाख टन खल की खपत के लिए खल का इंतजाम कहां से होगा। विशेषकर कपास से निकलने वाले बिनौले से हमारी अधिकांश खल की जरूरत पूरी होती है लेकिन इस बार नकली बिनौला खल और बिनौले की कम पेराई के कारण बिनौले खल की दिक्कत है। इतनी बड़ी मात्रा में खल का आयात कहीं से होना संभव नहीं है। देशी तेल-तिलहन से खल के साथ-साथ मुर्गीदाने के उपयोग में आने वाले डी-आयल्ड केक (डीओसी) भी मिलता है। बढ़ते पशुपालन उद्योग और पॉल्ट्री उद्योग की जरूरतों को केवल देशी तेल-तिलहन से प्राप्त होने वाले खल से ही काफी हद तक पूरा किया जा सकता है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,950-6,010 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,250-6,525 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,880 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,250-2,55 0 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,865-1,965 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,865-1,990 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,600 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,325 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,725 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,780 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,600-4,620 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,410-4,530 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)