मुंबई, 13 नवंबर (भाषा) नगर निगमों को संपत्ति कर में सुधार, उपयोगकर्ता शुल्क को युक्तिसंगत बनाने और बेहतर संग्रह तंत्र के माध्यम से अपनी आमदनी के स्रोतों को बढ़ाने की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट में यह परामर्श दिया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि संपत्ति कर राजस्व में लोचशीलता को ऐसे संपत्ति कर फॉर्मूला को अपनाकर सुधारा जा सकता है जो संपत्ति मूल्यांकन को अधिक प्रतिबिंबित करते हैं। संपत्ति कर, कर से होने वाली आमदनी का प्रमुख स्रोत है।
आरबीआई द्वारा बुधवार को जारी ‘नगर निगम वित्त पर रिपोर्ट’ में कहा गया है कि बढ़ती शहरी आबादी के साथ शहरी क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली सार्वजनिक सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, “फिर भी भारत में इस जिम्मेदारी के साथ जुड़े नगर निगम (एमसी) सीमित राजस्व जुटा पाते हैं और अपनी वित्तपोषण आवश्यकताओं के लिए सरकार पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं। इससे उनकी परिचालन की मजबूती प्रभावित होती है।’’
स्थानीय कराधान सुधारों, बेहतर प्रवर्तन, संस्थागत क्षमता में वृद्धि और पारदर्शी वित्तीय प्रबंधन के माध्यम से नगर निगम के वित्त को मजबूत करने के लिए राज्य-विशिष्ट रणनीतियां मजबूत नगर निगम वित्त और प्रभावी शहरी विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इसमें कहा गया है कि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं और अन्य तुलनात्मक उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय नगर निगम बहुत कम आमदनी जुटा पाते हैं। इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में उनका संसाधन खर्च काफी कम रहता है।
आरबीआई ने कहा, “नगर निगम के पास खुद से आमदनी करने के स्रोत अविकसित हैं। इनमें कर और गैर-कर आय, दोनों शामिल हैं।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में नगर निगम राजस्व हस्तांतरण के माध्यम से अपनी वित्त पोषण आवश्यकताओं के लिए केंद्र और राज्य सरकारों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
भाषा अनुराग अजय
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