आवक घटने के बीच अधिकांश तेल-तिलहन में सुधार, मूंगफली, बिनौला पूर्ववत |

आवक घटने के बीच अधिकांश तेल-तिलहन में सुधार, मूंगफली, बिनौला पूर्ववत

आवक घटने के बीच अधिकांश तेल-तिलहन में सुधार, मूंगफली, बिनौला पूर्ववत

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Modified Date: December 27, 2024 / 08:49 PM IST
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Published Date: December 27, 2024 8:49 pm IST

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) विदेशों में सुधार के रुख के बीच शुक्रवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में अधिकांश तेल-तिलहनों में मजबूती दिखी और सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम में तेजी रही। वहीं मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

मलेशिया एक्सचेंज दोपहर साढ़े तीन बजे लगभग दो प्रतिशत तेज बंद हुआ। शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात गिरावट थी और फिलहाल यहां सुधार का रुख है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों का दाम पामोलीन से नीचे चल रहा है। मंडियों में सरसों की आवक कम है और जाड़े की मांग भी बढ़ रही है। सरसों का थोक दाम 138 रुपये किलो है जबकि पामोलीन तेल के आयात की लागत के हिसाब से दाम 140 रुपये किलो बैठता है। विदेशों में मजबूती के रुख और आवक कम होने से सरसों तेल-तिलहन में सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि देश के कांडला बंदरगाह पर आयातित सोयाबीन रिफाइंड तेल का थोक दाम 122.50 रुपये किलो बैठता है जबकि पामोलीन तेल का थोक दाम 140 रुपये किलो है। सोयाबीन के मुकाबले पामोलीन का दाम अधिक होने तथा जाड़े में जमने की विशेषता की वजह से पामोलीन की मांग प्रभावित है।

इसी वजह से ग्राहक अब पामोलीन की जगह सोयाबीन की ओर अपना रुख करने लगे हैं। पामोलीन का दाम ही ऊंचा चल रहा है लेकिन इसके ग्राहक नहीं हैं। पामोलीन तो 4-5 रुपये किलो कम दाम (134-135 रुपये किलो) पर भी बिक नहीं रहा तो 140 रुपये किलो में तो खपना और मुश्किल ही है।

उन्होंने कहा कि कम दाम मिलने की वजह से मंडियों में आवक कम रहने के बावजूद मूंगफली खप नहीं रहा जिससे किसानों को खासी तकलीफ है। पिछले वर्ष लगभग 33-34 लाख टन मूंगफली का उत्पादन हुआ था और इस बार यह उत्पादन 44-45 लाख टन का है और स्थिति यह है कि हाजिर बाजार में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम मिल रहे हैं। ऐसी स्थिति में सरकार को इस पर गौर करना होगा कि किसानों को अगर उत्पादन बढ़ाकर भी दाम सही ना मिले तो वे क्यों उत्पादन बढ़ाने के बारे में सोचेंगे?

सूत्रों ने कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने कपास से निकलने वाले तिलहन फसल-बिनौला सीड के दाम में 50-75 रुपये क्विंटल की वृद्धि की है। लेकिन वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम पहले ही इतना नीचे है कि सीसीआई की मौजूदा वृद्धि के बावजूद बिनौला सीड का दाम, कपास के एमएसपी से कम ही बैठता है।

उन्होंने कहा कि सरकार को घरेलू तेल-तिलहन का बाजार विकसित करने के लिए तेल-तिलहन कारोबार को सट्टेबाजी से मुक्त करने के लिए इसके वायदा कारोबार को प्रतिबंधित रखना चाहिये।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,625-6,675 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,925-6,250 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,170-2,470 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,320-2,420 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,320-2,445 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,100 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,300-4,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,000-4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

 

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