आवक बढ़ने से अधिकांश तेल-तिलहन में गिरावट |

आवक बढ़ने से अधिकांश तेल-तिलहन में गिरावट

आवक बढ़ने से अधिकांश तेल-तिलहन में गिरावट

:   Modified Date:  October 15, 2024 / 08:29 PM IST, Published Date : October 15, 2024/8:29 pm IST

नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) विदेशों में खाद्यतेलों के दाम में तेजी के बावजूद देश में खरीफ तिलहन फसलों की बढ़ती आवक के कारण थोक बाजार में मंगलवार को अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम में गिरावट रही। ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन पूर्वस्तर पर बंद हुए।

जिन तेल-तिलहन के भाव में गिरावट आई, उसमें सरसों एवं सोयाबीन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल शामिल हैं।

मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट आने के बाद फिलहाल तेजी का रुख बना हुआ है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खद्यतेलों कीमतों में गिरावट के साथ साथ देश में खरीफ तिलहन फसलों की आवक भी बढ़ रही है। यह विदेशों में दाम टूटने का मुख्य कारण है।

सूत्रों ने कहा कि कच्चा पामतेल (सीपीओ) का दाम सोयाबीन से ऊंचा हो चला है और इसे देखते हुए इस सीपीओ का आयात भी कम रहने की आशंका है। उन्होंने कहा कि जब तक सीपीओ का आयात नहीं बढ़ेगा, खाद्यतेलों के मामले में दिक्कतें बरकरार रहेंगी।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में सूरजमुखी तेल का दाम सोयाबीन से 50 से 100 डॉलर प्रति टन नीचे था और उत्तर भारत में इस सूरजमुखी तेल की विशेष खपत नहीं होती। देश के दक्षिणी हिस्से में इस तेल की अधिक मांग होती है। सूरजमुखी तेल तभी खपता है जब इसका दाम सोयाबीन तेल से कम हो। लेकिन मौजूदा समय में सोयाबीन से सूरजमुखी तेल का दाम 50-55 डॉलर अधिक है। इस वजह से सूरजमुखी तेल का भी आयात घटा है।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सोयाबीन की आवक बढ़ गई है जो मौसम खुलने के साथ आगे और बढ़ेगी। सरकार को सोयाबीन की खरीद बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा। अगर सरकार देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनाने की ओर पुरजोर पहल करे तो उसे तिलहनों की खरीद की चिंता भी नहीं करनी होगी। वैसे फिलहाल, सूरजमुखी, सोयाबीन और मूंगफली एमएसपी से नीचे दाम पर ही बिक रहे हैं। इस बारे में गंभीरता से विचार करते हुए इसे दुरुस्त करना होगा।

सूत्रों ने कहा कि सरकार द्वारा आयात शुल्क बढ़ाने की पहल के कारण किसानों की सरसों फसल खप गई और इस पहल का यह फायदा भी हो रहा है कि तेल मिलें चल रही हैं और उपभोक्ताओं को भी पहले के मुकाबले वाजिब दाम पर खाद्यतेल मिल रहे हैं।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,550-6,600 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,375-6,650 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,285-2,585 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,575 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,150-2,250 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,150-2,265 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,10 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,050 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,675-4,720 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,375-4,610 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,225 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

 

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