मलेशिया में बाजार टूटने से अधिकांश तेल-तिलहन के दाम लुढ़के |

मलेशिया में बाजार टूटने से अधिकांश तेल-तिलहन के दाम लुढ़के

मलेशिया में बाजार टूटने से अधिकांश तेल-तिलहन के दाम लुढ़के

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Modified Date: January 2, 2025 / 08:18 PM IST
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Published Date: January 2, 2025 8:18 pm IST

नयी दिल्ली, दो जनवरी (भाषा) मलेशिया में बाजार टूटने से बृहस्पतिवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम धराशायी हो गये। सरकारी खरीद होने और सस्ती बिकवाली से बचने के कारण आवक कम रहने के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

मलेशिया एक्सचेंज में दो प्रतिशत से अधिक की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में रात आठ बजे कारोबार शुरू होने के बाद फिलहाल घट-बढ़ है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों के आयात के संदर्भ में विनिमय दर को हर 15 दिन में संशोधित कर इसे घटाया या बढ़ाया जाता है। अभी जो डॉलर बनाम रुपये का विनिमय दर संशोधित कर बढ़ाया गया है उससे कच्चा पामतेल (सीपीओ) 22 रुपये क्विंटल, पामोलीन तेल 28 रुपये क्विंटल और सोयाबीन डीगम तेल 20 रुपये क्विंटल और महंगा हो गया है। लेकिन इस वृद्धि का बाजार पर कोई खास असर नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि सरकारी खरीद होने तथा सस्ते में बिकवाली से बचने की प्रवृत्ति के कारण मंडियों में आवक घटने के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। लेकिन देखा जाये तो सोयाबीन या कपास की सरकारी खरीद का कोई विशेष फायदा नहीं होगा। सरकार खरीद कर स्टॉक करेगी और उस स्टॉक के रखरखाव का अपना खर्च बैठेगा। उधर पेराई मिलें बंद हो रही हैं क्योंकि सोयाबीन पेराई से मिलने वाले डी-आयल्ड केक का बाजार नहीं है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पेराई मिलों और किसानों की हालत बुरी है। इधर तथाकथित तेल विशेषज्ञ मलेशिया में पाम, पामोलीन तेल की महंगाई को लेकर कहीं अधिक चिंतित हैं। इन समीक्षकों में मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, बिनौला तेल-तिलहन को लेकर शायद कम चिंता है कि किसान तो उत्पादन बढ़ा रहे हैं पर ये बाजार में क्यों नहीं खप रहा और खपने के लिए क्या करना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन खरीद करने से कहीं ज्यादा सरकार के लिए सोयाबीन डीओसी का बाजार बनाने की ओर ध्यान होना चाहिये जिससे सोयाबीन का बाजार खुद-ब-खुद बन जायेगा और बंद पड़ी पेराई मिलें भी चल निकलेंगी। इसी तरह कपास नरमा की भी एमएसपी पर खरीद होना अच्छी बात है पर यहां इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि लागत के हिसाब से तय किये गये मूल्य पर ही बिनौला सीड बेचा जाये। कम दाम पर बिकवाली करने से मूंगफली, सरसों जैसे बाकी तेल-तिलहनों का बाजार भी प्रभावित होता है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,475-6,525 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,800-6,125 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,125-2,425 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,280-2,380 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,800-2,405 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,075 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,900 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,300-4,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,000-4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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