समीक्षा में दलहन, तिलहन खेती का रकबा घटने की चिंता के बीच अधिकांश तेल-तिलहन में सुधार |

समीक्षा में दलहन, तिलहन खेती का रकबा घटने की चिंता के बीच अधिकांश तेल-तिलहन में सुधार

समीक्षा में दलहन, तिलहन खेती का रकबा घटने की चिंता के बीच अधिकांश तेल-तिलहन में सुधार

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Modified Date: January 31, 2025 / 08:21 PM IST
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Published Date: January 31, 2025 8:21 pm IST

नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) आम बजट से पहले संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में तिलहन और दलहन खेती के रकबे में गिरावट को लेकर व्यक्त की गई चिंता के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को अधिकांश तेल-तिलहन (सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन एवं मूंगफली तेल तथा बिनौला तेल) के दाम सुधार के साथ बंद हुए। दूसरी ओर, मूंगफली खल के दाम में गिरावट रहने के बीच मूंगफली तिलहन के दाम में गिरावट आई जबकि बाजार धारणा कमजोर रहने के बीच सोयाबीन तिलहन, ऊंचे दाम पर लिवाली कमजोर रहने के बीच कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

मलेशिया एक्सचेंज दोपहर 3.30 बजे मामूली सुधार के साथ बंद हुआ और यहां शाम का कारोबार बंद है। वहीं शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात भी सुधार आया था और फिलहाल यहां एक प्रतिशत से अधिक की तेजी है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों की मौजूदा फसल के बाद अगले सत्र के लिए सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में पर्याप्त वृद्धि किये जाने की संभावना है। इस कारण सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश आर्थिक समीक्षा में भी दलहन और तिलहन खेती के रकबे में गिरावट पर चिंता जताते हुए इन फसलों का उत्पादन बढ़ाने की बात को रेखांकित किया गया है। आर्थिक समीक्षा में बिजली और पानी की अधिक खपत वाली फसलों की खेती को हतोत्साहित करने और विशेषकर तिलहन खेती बढ़ाने की जरुरत पर जोर दिया गया है जिसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत बहुत हद तक आयात पर निर्भर है।

पिछले कुछ दिनों में भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा बिनौला सीड का दाम बढ़ाने के बावजूद आज एक बार फिर से बिनौला खल का वायदा दाम लगभग 20 रुपये क्विंटल टूटा है।

सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार के इस दुष्चक्र को समझना चाहिए और राजनीतिक रूप से संवेदनशील खाद्य वस्तुओं के कारोबार को सट्टेबाजों के चंगुल से मुक्त रखने के लिए वायदा कारोबार में खाद्य वस्तुओं का कारोबार पूरी तरह रोक देना चाहिये। इससे पूरी की पूरी कारोबारी धारणा बिगड़ जाती है जहां सट्टेबाज जानबूझकर अपने फायदे के लिए दाम घटाते या बढ़ाते हैं।

सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम टूटने और इसके कारण कारोबारी धरणा प्रभावित होने से मूंगफली खल और सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) के दाम भी प्रभावित हुए। इसके कारण मूंगफली तिलहन में जहां गिरावट रही वहीं सोयाबीन तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। शिकॉगो एक्सचेंज में सुधार रहने से सोयाबीन तेल के दाम में सुधार आया। लेकिन आयात होने वाला सोयाबीन डीगम तेल, पैसों की तंगी के कारण अब भी लागत से 4-5 प्रतिशत नीचे थोक दाम पर बिक रहा है। बिनौला खली का दाम टूटने के बीच बिनौला तेल के दाम में सुधार देखने को मिला।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,025-6,125 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,350-5,675 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 13,950 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,115-2,415 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,235-2,335 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,235-2,360 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,250 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,700 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,225-4,275 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 3,925-4,025 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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