नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) विदेशों में अचानक खाद्यतेलों के दाम टूटने के बीच सोमवार को देश के प्रमुख बाजारों में सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। वहीं आवक कम रहने से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया और शिकागो एक्सचेंज में गिरावट है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में पिछले कुछ सत्रों से तेजी चल रही थी और आज अचानक दाम टूट गये हैं। मलेशिया एक्सचेंज में सट्टेबाजी होने की आशंका जताते हुए उन्होंने कहा कि विदेशी बाजारों पर निर्भर होने के ऐसे दुष्परिणामों को घरेलू तिलहन उत्पादन बढ़ाकर और देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित कर ही मुकाबला करना संभव है।
सूत्रों ने कहा कि बाजार में आवक तो है पर उस हिसाब से मांग न होने की वजह से मूंगफली के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10-15 प्रतिशत कम हैं और किसान इतने नीचे दाम पर बेचने को राजी नहीं दिखते। इसकी निर्यात मांग भी कमजोर है। इस स्थिति में मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर ही बंद हुए। मांग कमजोर रहने और विदेशों में खाद्यतेलों के दाम टूटने से सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, बिनौला सहित बाकी तेल-तिलहन के भाव हानि दर्शाते बंद हुए।
मलेशिया एक्सचेंज के कमजोर रहने से सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में भी गिरावट देखने को मिली।
सूत्रों ने आशंका जाहिर की कि किसानों के कपास नरमा की लूट करने के मकसद से सटोरिये वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम तोड़ रहे हैं। लेकिन फिर भी आईवीपीए जैसे कुछ खाद्यतेल निकाय सरसों और सोयाबीन के वायदा कारोबार खोलने की वकालत करते पाये जाते हैं जो देश के तेल-तिलहन उद्योग को ध्वस्त कर सकता है।
सूत्रों ने कहा कि इन संगठनों को यह बताना चाहिये कि वर्ष 2001 में वायदा कारोबार खुलने के बाद सूरजमुखी का उत्पादन आज सिकुड़ता हुआ पहले के मुकाबले लगभग नगण्य क्यों हो चला है?
कपास से निकलने वाले बिनौला से खाद्यतेल कम और खल सबसे अधिक मात्रा में मिलती है और मौजूदा समय में देखा जा रहा है कि जब किसानों की नयी कपास फसल बाजार में आ रही है तो वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम पहले के 3,800 रुपये क्विंटल से तोड़कर सितंबर अनुबंध का भाव आज तोड़कर 2,675 रुपये क्विंटल कर दिया गया है।
वायदा कारोबार में बिनौला खल के दाम तोड़कर किसानों को कपास नरमा नीचे दाम पर बेचने को मजबूर किया जाता है। इससे कपास खेती रकबा साल दर साल घट रहा है। क्या कपास का भी सूरजमुखी जैसा हाल कर दिया जायेगा? यह खतरा मूंगफली, सोयाबीन, सरसों जैसी अन्य फसलों के लिए भी सामने है।
तो ऐसे में क्या सटोरियों का मकसद, देश को खाद्यतेल के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर बनाना है? इन सब परिस्थितियों पर गौर करते हुए देश में एक ठोस तेल-तिलहन नीति बनाने और मजबूती से देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनाते हुए तेल-तिलहन या अन्य खाद्य वस्तुओं को वायदा कारोबार के चंगुल से मुक्त ही रखने में भलाई है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,575-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,100-6,475 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,130-2,430 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,270-2,370 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,270-2,395 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,950 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,350 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,300 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,450-4,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,150-4,185 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश रमण
रमण
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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