आयात शुल्क बढ़ाये जाने के बाद अधिकांश खाद्यतेल-तिलहनों में सुधार, देशी खाद्यतेलों पर विशेष असर नहीं |

आयात शुल्क बढ़ाये जाने के बाद अधिकांश खाद्यतेल-तिलहनों में सुधार, देशी खाद्यतेलों पर विशेष असर नहीं

आयात शुल्क बढ़ाये जाने के बाद अधिकांश खाद्यतेल-तिलहनों में सुधार, देशी खाद्यतेलों पर विशेष असर नहीं

:   Modified Date:  September 14, 2024 / 07:30 PM IST, Published Date : September 14, 2024/7:30 pm IST

नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) सरकार के कल देर रात सोयाबीन डीगम सहित बाकी अन्य आयातित खाद्यतेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने के फैसले के बाद देश के तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम में सुधार दर्ज हुआ।

सोयाबीन डीगम तेल में इसलिए गिरावट है क्योंकि पहले यह तेल नौ रुपये के प्रीमियम पर बिक रहा था जो आयात शुल्क बढाने के बाद खत्म हो गया। इसके अलावा कल शिकागो एक्सचेंज में 1.5 प्रतिशत की आई गिरावट की वजह से सोयाबीन डीगम तेल के दाम नरम रहे।

आयात शुल्क में वृद्धि के बाद सरसों एवं मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन दिल्ली एवं इंदौर तेल के साथ साथ सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम मजबूत हो गये।

सरकार ने कल रात सीपीओ और सोयाबीन डीगम का आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 27.5 प्रतिशत, पामोलीन का 13.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 35.75 प्रतिशत और सूरजमुखी तेल का आयात शुल्क 5.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 27.5 प्रतिशत कर दिया। लेकिन इस वृद्धि का देशी तेल-तिलहन पर कोई विशेष असर नहीं आया क्योंकि आयातित तेल से वे पहले ही काफी ऊंचे दाम पर बिक रहे थे।

सूत्रों ने कहा कि इस शुल्क वृद्धि से मंहगाई बढ़ने की संभावना नहीं है। इस वृद्धि का उपभोक्ताओं पर मामूली असर ही आयेगा लेकिन इसके कारण देश में बंद पड़ी मिलें चल निकलेंगी, देशी तिलहन की खपत बढ़ने से किसानों को लाभ होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, सरकार को राजस्व की प्राप्ति जैसे लाभ होंगे।

सूत्रों ने कहा कि शुल्कवृद्धि से पहले सोयाबीन डीगम तेल का दाम 94.5 रुपये किलो था और उसपर 4.70 रुपये किलो का आयात शुल्क लगता था। दोनों मिलाकर दाम लगभग 99.20 रुपये किलो बैठता है। कल आयात शुल्क को 4.70 रुपये किलो से बढ़ाकर 23 रुपये किलो करने के बाद यह वृद्धि 18.30 रुपये किलो की हुई है। लेकिन सोयाबीन डीगम तेल के आज के दाम पर मात्र 9.80 रुपये किलो ही असर हुआ है। इसके अलावा, पहले जो सोयाबीन डीगम तेल 8.5 रुपये किलो के प्रीमियम के साथ बिक रहा था वह खत्म हो गया। कुल मिलाकर आयात शुल्क में वृद्धि का असर सोयाबीन डीगम तेल पर आधा है।

सूत्रों ने कहा कि गुजरात के खाद्य एवं औषधि नियंत्रण प्रशासन (एमडीसीए) ने बिनौलातेल के रूप में पामतेल बेचे जाने का खुलासा होने के बाद अपनी निगरानी बढ़ाने की योजना बनाई है। एमडीसीए ने त्योहारी मौसम से पहले इन गलत ब्रांड वाले पैक के नमूनों की जांच की मंशा जताई है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,600-6,650 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,475-6,750 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,375 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,310-2,610 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,135-2,235 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,135-2,250 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 11,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,100 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,200 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,900-4,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,675-4,810 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,225 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)