नयी दिल्ली, 24 नवंबर (भाषा) मोबाइल फोन कंपनियां चाहती हैं कि भारतीय हवाई अड्डे अपनी मौजूदा माल ढुलाई क्षमता को बढ़ाएं। उद्योग निकाय आईसीईए का कहना है कि स्मार्टफोन उद्योग को 2030 तक उपकरण निर्यात आठ गुना होकर 180 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के चेयरमैन पंकज मोहिन्द्रू ने पीटीआई-भाषा को बताया कि सीमा शुल्क विभाग में लगने वाला समय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग के लिए एक बड़ी बाधा है, जिससे ढुलाई की प्रक्रिया में और देरी होती है।
मोहिन्द्रू ने कहा, ‘चीन में, जहां कार्गो टर्मिनल से निर्यात के लिए माल पहले दिन ही निकल जाता है, जबकि भारत में इसमें दो दिन लगते हैं। निर्यात की मात्रा को देखा जाए तो 2023 में भारत (29 अरब डॉलर) की तुलना में चीन का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 30 गुना (959 अरब डॉलर) से ज्यादा था।’
इलेक्ट्रॉनिक्स पहले ही हवाई माल में भारत का सबसे बड़ा निर्यात है, जबकि इंजीनियरिंग और पेट्रोल के बाद यह समग्र रूप से तीसरे स्थान पर है।
मोहिन्द्रू ने कहा, “निर्यात में अपेक्षित वृद्धि के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए केन्द्र और राज्य स्तर पर ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। वर्तमान हवाई अड्डों का बुनियादी ढांचा पहले ही चरम पर पहुंच चुका है, क्योंकि वे अपनी क्षमता के 80-100 प्रतिशत पर काम कर रहे हैं, जिसके लिए मौजूदा हवाई अड्डों के विस्तार और नए हवाई अड्डों के विकास की आवश्यकता है।’
आईसीईए के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 29.1 अरब डॉलर रहा, जिसमें मोबाइल का निर्यात 15 अरब डॉलर था।
इस समय भारत से कुल मोबाइल फोन निर्यात का 55 प्रतिशत दिल्ली, 30 प्रतिशत मद्रास हवाई अड्डे तथा 10 प्रतिशत बेंगलुरु हवाई अड्डे द्वारा किया जाता है।
मोहिंद्रू ने कहा कि नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे सहित कुछ हवाई अड्डों और तमिलनाडु और महाराष्ट्र में नए हवाई अड्डों के विकास से निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है।
एप्पल और सैमसंग भारत से मोबाइल फोन निर्यात करने वाली दो शीर्ष कंपनियां हैं।
एप्पल के अधिकांश आईफोन तमिलनाडु में बनाए जाते हैं, जबकि सैमसंग की नोएडा में दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन फैक्टरी है।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय
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