मुंबई, आठ अक्टूबर (भाषा) सूक्ष्म वित्त उद्योग के स्व-नियामकीय निकाय एमफिन ने मंगलवार को कहा कि उसने कर्जदारों के अत्यधिक कर्ज में डूबे होने से जुड़ी चिंताओं के बीच अपने सदस्यों के लिए ऋण पात्रता निर्धारण संबंधी दिशानिर्देशों को सख्त कर दिया है।
सूक्ष्म वित्त उद्योग नेटवर्क (एमफिन) ने एक बयान में कहा कि संशोधित दिशानिर्देश ऋण देने में मौजूदा चुनौतियों का ध्यान रखते हैं जिसमें ऋणदाता को पुराने कर्जों या ‘बुलेट पुनर्भुगतान’ के मामले में भी एक घर से हर महीने होने वाली निकासी का आंकड़ा नहीं मिल पाता है।
सूक्ष्म ऋण देने वाले संस्थान फिलहाल कर्ज देते समय अलग-अलग तौर-तरीके अपना रहे हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए एमफिन ने एकरूपता लाने के लिए ये दिशानिर्देश जारी किए हैं। हालांकि, उसने उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से नहीं बताया है।
दरअसल, सूक्ष्म वित्त उधारकर्ताओं के बीच अत्यधिक ऋणग्रस्तता को लेकर कुछ चिंताएं हैं, जिसमें कई मामलों में एक ही उधारकर्ता को पांच से अधिक कर्ज दिए गए हैं।
एमफिन ने कहा कि रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मौजूदा नियम उधारकर्ता परिवार के मासिक ऋण दायित्वों के पुनर्भुगतान के कारण होने वाली निकासी का सटीक अनुमान लगाने को अनिवार्य बनाते हैं। इन नियमों के मुताबिक, मासिक पुनर्भुगतान दायित्व मासिक घरेलू आय के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
ऋणदाता किसी परिवार से निकासी का अनुमान लगाने के लिए क्रेडिट सूचना कंपनियों से मिलने वाली क्रेडिट रिपोर्ट पर निर्भर करते हैं।
एमफिन ने कहा कि उपभोक्ता या खुदरा ऋण के मामले में किसी विशेष ऋण के लिए मासिक किस्त का मूल्य इस क्रेडिट रिपोर्ट में अक्सर परिलक्षित नहीं होता है क्योंकि ऋणदाताओं द्वारा क्रेडिट ब्यूरो को मासिक किस्त का ब्योरा देना अनिवार्य नहीं है।
इसी तरह सोने के बदले कर्ज या किसान क्रेडिट कार्ड जैसे ऋणों में बुलेट पुनर्भुगतान के मामलों में मूल्य को शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि वह भुगतान कर्ज अवधि के अंत में होता है, मासिक नहीं।
छह महीने से अधिक समय तक हितधारकों के साथ बातचीत और 12 करोड़ ऋण रिकॉर्ड का विश्लेषण करने के बाद नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
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