नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) ग्रामीण क्षेत्रों में अगस्त 2023 से जुलाई, 2024 के दौरान मासिक प्रति व्यक्ति व्यय (एमपीसीई) में अधिकतम वृद्धि ओडिशा में हुई जबकि शहरी क्षेत्रों में पंजाब शीर्ष पर रहा। एक सरकारी सर्वेक्षण में यह कहा गया है।
सर्वेक्षण के अनुसार, 2023-24 में सभी 18 प्रमुख राज्यों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय में वृद्धि हुई है।
सांख्यिकी मंत्रालय ने बयान में कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में औसत एमपीसीई में अधिकतम वृद्धि ओडिशा में हुई है। 2022-23 की तुलना में औसत व्यय में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में, पंजाब में लगभग 13 प्रतिशत की अधिकतम वृद्धि दर्ज की गयी है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय में सबसे कम वृद्धि क्रमशः महाराष्ट्र (लगभग तीन प्रतिशत) और कर्नाटक (लगभग पांच प्रतिशत) में रही।
इसमें कहा गया है कि 2022-23 के साथ-साथ 2023-24 में 18 प्रमुख राज्यों में औसत एमपीसीई में शहरी-ग्रामीण स्तर पर व्यापक अंतर देखा गया है।
इन प्रमुख राज्यों में से 11 राज्यों में 2022-23 के स्तर से 2023-24 में शहरों और गांवों के बीच अंतर कम हुआ है।
सर्वेक्षण के अनुसार, 2023-24 में शहर और गांव के बीच सबसे कम अंतर केरल में (लगभग 18 प्रतिशत) और सबसे अधिक झारखंड में (लगभग 83 प्रतिशत) रहा।
कुल व्यय में विभिन्न खाद्य और गैर-खाद्य वस्तु समूहों की हिस्सेदारी के बारे में, इसमें कहा गया है कि 2023-24 में गांवों में औसत ग्रामीण भारतीय परिवारों के उपभोग मूल्य में भोजन का योगदान लगभग 47 प्रतिशत था।
खाद्य पदार्थों में, ग्रामीण भारत में पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत भोजन का योगदान सबसे अधिक 9.84 प्रतिशत रहा है। इसके बाद दूध और दुग्ध उत्पादों (8.44 प्रतिशत) और सब्जियों (6.03 प्रतिशत) का स्थान रहा।
व्यय में अनाज और अनाज की जगह उपयोग किये जाने वाले अन्य खाद्य पदार्थों का योगदान लगभग 4.99 प्रतिशत रहा है। गैर-खाद्य वस्तुओं में, अधिकतम योगदान परिवहन (7.59 प्रतिशत) का रहा है। इसके बाद चिकित्सा (6.83 प्रतिशत), कपड़े, बिस्तर और जूते (6.63 प्रतिशत) और टिकाऊ सामान (6.48 प्रतिशत) का स्थान रहा है।
शहरी भारत में, 2023-24 में एमपीसीई में भोजन का योगदान लगभग 40 प्रतिशत रहा है और ग्रामीण भारत के समान, खाद्य व्यय में पेय पदार्थ, जलपान और प्रसंस्कृत भोजन का योगदान सबसे अधिक (11.09 प्रतिशत) रहा है। इसके बाद दूध एवं दुग्ध उत्पादों (7.19 प्रतिशत) और सब्जियां (4.12 प्रतिशत) का स्थान है।
शहरी क्षेत्रों में एमपीसीई में गैर-खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत रही है। परिवहन का गैर-खाद्य व्यय में सबसे अधिक 8.46 प्रतिशत योगदान रहा। उसके बाद विविध सामान और मनोरंजन (6.92 प्रतिशत), टिकाऊ सामान (6.87 प्रतिशत) और किराये (6.58 प्रतिशत) का स्थान रहा।
सर्वेक्षण के अनुसार, उपभोग असमानता को मापने वाले गिनी गुणांक में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 2022-23 के स्तर से लगभग सभी प्रमुख राज्यों में कमी आई है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 27 दिसंबर, 2024 को 2022-23 और 2023-24 के दौरान आयोजित किए गये घरेलू उपभोग व्यय पर लगातार दो सर्वेक्षणों में से दूसरे के निष्कर्षों तथ्य के रूप में जारी किया था।
इससे पहले, 2022-23 के सर्वेक्षण की विस्तृत रिपोर्ट और इकाई स्तर पर आंकड़ा जून, 2024 में जारी किया गया था।
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण: 2023-24 की विस्तृत रिपोर्ट अब जारी की जा रही है।
भाषा रमण अजय
अजय
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)