मुंबई, 16 अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा के पहले एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार की तरफ से घोषित कल्याणकारी योजनाओं और गारंटियों से राज्य की वित्तीय स्थिति पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने इस रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि इन घोषणाओं की वजह से राज्य सरकार के खर्च में ‘अचानक वृद्धि’ नहीं होगी, भले ही ‘बयानबाजी बहुत अधिक हुई हो।’
उन्होंने कहा कि राज्य ऋण के मोर्चे पर महाराष्ट्र का प्रदर्शन अच्छा है और कर्ज का स्तर देश में सबसे कम है।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की घोषणा चुनाव आयोग कर चुका है। इसके पहले राज्य सरकार ने कुछ महीनों में कई कल्याणकारी घोषणाएं की हैं।
हाल के दिनों में महिलाओं को नकद सहायता देने वाली 46,000 करोड़ रुपये की लाडकी बहिन योजना (प्यारी बहन योजना) या मुंबई से आते-जाते समय कारों से टोल की वसूली बंद करने जैसे फैसलों को लेकर कई जानकारों ने चिंता जताई थी।
हालांकि, इक्रा रेटिंग्स की सहायक उपाध्यक्ष नीतिका श्रीधर ने कहा कि महाराष्ट्र के पास इन योजनाओं के लिए पर्याप्त राजकोषीय गुंजाइश है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में इसने बहुत अधिक कल्याणकारी खर्च नहीं किया है। इसकी वजह से उसके पास नई योजनाओं से आने वाले वित्तीय दबाव को झेलने की सामर्थ्य है।
श्रीधर ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि राज्य सरकार की हालिया घोषणाओं की वजह से राज्य को कोई बड़ा झटका लगेगा, कम-से-कम वित्त वर्ष 2024-25 में तो नहीं होगा।’’
नायर ने रिपोर्ट में कहा कि सरकार को कोई भी फैसला करते समय संतुलन बनाना पड़ता है, जिससे वित्त पर दबाव पड़ सकता है। इसके अलावा यह भी संभावना है कि राज्य की घोषणाएँ कार्यान्वयन के नजरिये से आवश्यक रूप से लागू ही न हों।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
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