(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) सरकार ने सोमवार को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरपर्सन की तलाश की प्रक्रिया शुरू कर दी।
यह प्रक्रिया मौजूदा प्रमुख माधबी पुरी बुच के कार्यकाल की समाप्ति से एक महीने पहले शुरू की गई है। बुच हितों के टकराव को लेकर पिछले काफी समय से चर्चा में रही हैं।
वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार, नियुक्ति पांच साल या उम्मीदवार की आयु 65 वर्ष होने तक के लिए होगी। आवेदन दाखिल करने की अंतिम तारीख 17 फरवरी है।
मंत्रालय ने कहा कि एक नियामक के रूप में सेबी की भूमिका और महत्व को ध्यान में रखते हुए, उम्मीदवार के पास ‘‘ उच्च निष्ठा, प्रतिष्ठा तथा 50 वर्ष से अधिक का अनुभव और 25 वर्ष से अधिक का पेशेवर अनुभव होना चाहिए।’’
इसमें कहा गया है कि उम्मीदवार के पास ‘‘ प्रतिभूति बाजार से संबंधित समस्याओं से निपटने की क्षमता होनी चाहिए या कानून, वित्त, अर्थशास्त्र, लेखाशास्त्र का विशेष ज्ञान या अनुभव होना चाहिए जो केंद्र सरकार की राय में बोर्ड के लिए उपयोगी होगा।’’
विज्ञापन में कहा गया, ‘‘ चेयरपर्सन ऐसा व्यक्ति होना चाहिए, जिसका कोई ऐसा वित्तीय या अन्य हित न हो, जिससे उसके पद पर रहते हुए उसके कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका हो।’’
इसमें कहा गया, सरकार वित्तीय क्षेत्र विनियामक नियुक्ति खोज समिति (एफएसआरएएससी) की सिफारिश पर सेबी प्रमुख की नियुक्ति करेगी। समिति योग्यता के आधार पर किसी अन्य व्यक्ति की भी सिफारिश करने के लिए स्वतंत्र है, जिसने पद के लिए आवेदन नहीं किया है।
गौरतलब है कि सेबी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बुच ने दो मार्च 2022 को तीन साल की अवधि के लिए पदभार संभाला था। उन्होंने आईएएस अधिकारी अजय त्यागी का स्थान लिया था जो एक मार्च 2017 से 28 फरवरी 2022 तक सेबी प्रमुख के रूप में कार्यरत रहे।
हालांकि, बुच के कार्यकाल में पिछले वर्ष काफी बड़ा विवाद खड़ा हो गया था जब सेबी के कर्मचारियों ने ‘‘कामकाज के गलत तरीकों’’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, इसके अलावा अमेरिका की अनुंसंधन एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग तथा विपक्षी दल कांग्रेस ने भी उन पर कई आरोप लगाए थे।
हिंडनबर्ग ने अपना कारोबार समेटने की इस महीने ही घोषणा की है।
बुच पर पिछले वर्ष अगस्त में इस्तीफा देने का दबाव था, जब हिंडनबर्ग ने उन पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था, जिससे अदाणी समूह में हेरफेर और धोखाधड़ी के दावों की गहन जांच नहीं हो सकी।
हिंडनबर्ग ने बुच और उनके पति धवल बुच पर विदेशी संस्थाओं में निवेश करने का आरोप लगाया, जो कथित तौर पर एक कोष संरचना का हिस्सा थे जिसमें अदाणी समूह के संस्थापक चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी ने भी निवेश किया था।
बुच ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि ये निवेश उनके नियामक प्रमुख बनने से पहले किए गए थे और उन्होंने सभी प्रकटीकरण के लिए आवश्यक नियमों का पालन किया था।
सरकार ने हालांकि अपनी ओर से सार्वजनिक रूप से यह नहीं बताया कि क्या उसने बुच से स्पष्टीकरण मांगा था या नहीं।
भाषा निहारिका
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)