एलएंडटी प्रमुख का सुझाव, सप्ताह में 90 घंटे काम कीजिए, ‘कबतक पत्नी को निहारेंगे’ |

एलएंडटी प्रमुख का सुझाव, सप्ताह में 90 घंटे काम कीजिए, ‘कबतक पत्नी को निहारेंगे’

एलएंडटी प्रमुख का सुझाव, सप्ताह में 90 घंटे काम कीजिए, ‘कबतक पत्नी को निहारेंगे’

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Modified Date: January 9, 2025 / 08:38 PM IST
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Published Date: January 9, 2025 8:38 pm IST

नयी दिल्ली, नौ जनवरी (भाषा) लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यन ने कहा है कि कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करना चाहिए और रविवार को भी काम करने से नहीं हिचकना चाहिए। उनके बयान को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी टिप्पणियां की हैं।

सुब्रमण्यन को कथित वीडियो में अपने कर्मचारियों को यह कहते सुना जा सकता है, ‘‘आखिर आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं।’’ वीडियो में उन्होंने कर्मचारियों से घर पर कम और कार्यालय में अधिक समय बिताने को कहा।

उनकी बातों से कार्य-जीवन संतुलन की बहस फिर से छिड़ गयी है। सबसे पहले इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के 70 घंटे के कार्य सप्ताह के सुझाव से यह बहस शुरू हुई थी।

सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में सुब्रमण्यन को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘मुझे अफसोस है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं आपसे रविवार को काम करवा सकूं, तो मुझे और खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को काम करता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं? पत्नियां अपने पतियों को कितनी देर तक निहार सकती हैं? छोड़िये, यह सब। दफ्तर आइये और काम कीजिए।’’

सुब्रमण्यन की टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हुई है। कुछ लोगों ने पूछा, ‘‘कर्मचारी स्क्रीन और…. अपने… मोटे…प्रबंधकों को कब तक निहाराते रहेंगे।’’

इसके तुरंत बाद, एलएंडटी ने एक स्पष्टीकरण जारी किया। इसमें कहा गया कि चेयरमैन की टिप्पणी देश के लिए असाधारण परिणाम प्राप्त करने के लिए असाधारण प्रयास करने के संदर्भ में थी।

कंपनी के प्रवक्ता ने संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि यह भारत का दशक है। प्रगति को आगे बढ़ाने और एक विकसित राष्ट्र बनने के हमारे साझा दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सामूहिक समर्पण और प्रयास करने का समय है।’’

बयान के अनुसार, ‘‘चेयरमैन ने इसी संदर्भ में असाधारण प्रयास की बात कही है और यह कुछ और नहीं बल्कि बड़ी महत्वाकांक्षा को बताता है।’’

प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्र-निर्माण एलएंडटी के मूल उद्देश्य में है। आठ दशक से अधिक समय से कंपनी भारत के बुनियादी ढांचे, उद्योगों और तकनीकी क्षमताओं को आकार दे रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘एलएंडटी में, हम एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं जहां जुनून, उद्देश्य और प्रदर्शन हमें आगे बढ़ाते हैं।’’

वीडियो में, एलएंडटी के मुख्य संचार अधिकारी सुमीत चटर्जी चेयरमैन से पूछते नजर आ रहे हैं, ‘‘एक शीर्ष समूह होने के बावजूद एलएंडटी के कर्मचारियों को शनिवार को काम करने के लिए क्यों कहा जाता है?’’

इसके जवाब में चेयरमैन कहते हैं, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो मुझे अफसोस है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करा पा रहा हूं। अगर मैं आपसे रविवार को काम करा सकूं तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को भी काम करता हूं।’’

सुब्रमण्यन ने एक किस्सा साझा किया। उन्होंने एक चीनी व्यक्ति के साथ हुई बातचीत का हवाला दिया। उसने कहा था कि देश की मजबूत कार्य नीति के कारण चीन अमेरिका से आगे निकल सकता है।

एलएंडटी के चेयरमैन के मुताबिक, चीनी व्यक्ति ने कहा, ‘‘हम लोग सप्ताह में 90 घंटे काम करते हैं, जबकि अमेरिकी हफ्ते में सिर्फ 50 घंटे काम करते हैं।’’

सुब्रमण्यन ने कंपनी के कर्मचारियों को इस कार्य व्यवस्था का पालन करने को कहा।

वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘…अगर आपको दुनिया में शीर्ष पर रहना है, तो आपको सप्ताह में 90 घंटे काम करना होगा।’’

सुब्रमण्यन का वीडियो तेजी से वायरल हो गया और कुछ तीखी टिप्पणियां की गयी। एक व्यक्ति ने टिप्पणी की, ‘‘एक और सीईओ बेशर्मी से गुलामी को बढ़ावा दे रहा है।’’

कुछ लोगों ने सवाल किया कि उच्च वेतन वाले सीईओ अलग-अलग नौकरी के दबाव वाले कम वेतन वाले कर्मचारियों से समान स्तर की प्रतिबद्धता की उम्मीद क्यों करते हैं।

सुब्रमण्यन की टिप्पणियों ने कार्य-जीवन संतुलन की बहस को फिर से जन्म दिया। यह मामला पिछले साल जुलाई में 26 वर्षीय ईवाई सलाहकार की मृत्यु के बाद सुर्खियों में आया था।

इन्फोसिस के सह-संस्थापक मूर्ति ने भी कुछ महीने पहले 70 घंटे के कार्य सप्ताह की वकालत की थी। उन्होंने कहा था, ‘‘भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया में सबसे कम में से एक है… मेरा अनुरोध है कि हमारे युवाओं को कहना चाहिए,यह मेरा देश है, मैं सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहता हूं।’’

पिछले महीने, उद्योगपति गौतम अदाणी भी कार्य-जीवन संतुलन की बहस में शामिल हो गये। उन्होंने कहा था कि अगर किसी को परिवार के साथ आठ घंटे बिताने हैं तो जीवनसाथी साथ छोड़ देगा।

उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि कार्य-जीवन संतुलन व्यक्तिगत पसंद का मामला है। ‘‘कार्य-जीवन संतुलन का आपका विचार मुझ पर नहीं थोपा जाना चाहिए और मेरा विचार आप पर नहीं थोपा जाना चाहिए। मान लीजिए, कोई व्यक्ति परिवार के साथ चार घंटे बिताता है और इसमें आनंद पाता है, या यदि कोई अन्य आठ घंटे बिताता है और इसका आनंद लेता है, यह उनका कार्य-जीवन संतुलन है।’’

उन्होंने कहा था, ‘‘आठ घंटे परिवार के साथ बिताएंगे तो बीवी भाग जाएगी।’’

भाषा रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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