2.5 lakh crores of investors drowned in LIC: एक साल पहले आज ही की तारीख यानी 17 मई को देश का सबसे बड़ा आईपीओ मार्केट में लिस्ट हुआ था। यह आईपीओ देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी का ही था। मौजूदा समय में यही आईपीओ सबसे बड़ा सवाल बन कर रह गया है। इस एक साल में इससे बड़ा फ्लॉप आईपीओ कोई नहीं है, जिसकी वजह से निवेशकों को 2.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
एलआईसी में सरकार की अब भी 96.5 पर्सेंट हिस्सेदारी है। लिस्टिंग के बाद भी स्टॉक का फ्री फ्लोट बहुत कम है। शायद यही वजह है कि मार्केट वैल्यू के मामले में टॉप 15 कंपनियों में होने के बावजूद यह निफ्टी या सेंसेक्स में जगह नहीं बना पाई है। यह बात इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कही गई है। इस साल अब तक एलआईसी के शेयरों में करीब 20 पर्सेंट की गिरावट आई है। वहीं, पिछले 6 महीने में LIC के शेयर करीब 12 पर्सेंट लुढ़क गए हैं।
हालांकि, रिटेल इनवेस्टर्स ने गिरावट में बीमा कंपनी के शेयरों पर अपना दांव बढ़ाया है। एलआईसी में रिटेल इनवेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़कर 2.04 पर्सेंट पहुंच गई है, दिसंबर 2022 तिमाही में यह 1.92 पर्सेंट के स्तर पर थी। एलआईसी में रिटेल ओनरशिप जरूर बढ़ी है, लेकिन रिटेल इनवेस्टर्स की टोटल संख्या में गिरावट आई है। आईपीओ के समय में LIC में 39.89 लाख रिटेल इनवेस्टर्स थे, जो कि मार्च 2023 तिमाही में घटकर करीब 33 लाख रह गए हैं। यानी, एक साल में 6.87 लाख इनवेस्टर्स कंपनी से बाहर हुए हैं।
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2.5 lakh crores of investors drowned in LIC: एलआईसी का आईपीओ देश के लिए कई मायनों में अहम था। इसका साइज 21 हजार करोड़ रुपये का था। इससे पहले कभी इतना बड़ा आईपीओ नहीं आया था। वहीं एलआईसी की पूरे देश में जिस तरह की पैठ है एलआईसी आईपीओ को एक मील का पत्थर घटना माना जा रहा था और ऐसा लग रहा था कि बाजार को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएगा और पिछले साल की गिरावट को कम कर देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं इस आईपीओ से बाजार को उम्मीद थी कि आईपीओ की बंपर सफलता निवेशकों को बाजार की ओर खींच सकती है।