बीते सप्ताह किसानों की कम बिकवाली, त्योहारी मांग से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार |

बीते सप्ताह किसानों की कम बिकवाली, त्योहारी मांग से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

बीते सप्ताह किसानों की कम बिकवाली, त्योहारी मांग से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

:   Modified Date:  August 25, 2024 / 10:40 AM IST, Published Date : August 25, 2024/10:40 am IST

नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर बिकवाली से बचने तथा त्योहारी मांग बढ़ने के बीच बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के भाव मजबूती के साथ बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में जिस सोायाबीन तेल का दाम 1,010-1,015 डॉलर प्रति टन था वह बढ़कर 1,030-1,035 डॉलर प्रति टन हो गया। इसी प्रकार, पहले जिस सीपीओ का दाम 990-995 डॉलर प्रति टन था वह समीक्षाधीन सप्ताह में बढ़कर 1,020-1,025 डॉलर प्रति टन हो गया। लेकिन सारे तेल अपनी लागत से कम दाम पर बिक रहे हैं। इसमें आयातित तेल भी शामिल हैं क्योंकि ये तेल भी आयात की लागत से नीचे दाम पर बंदरगाहों पर थोक में बिक रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि आयातित तेलों के केवल थोक दाम सस्ते हुए हैं लेकिन खुदरा में ये मंहगा ही बिक रहे हैं। इसकी ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। इसे ठीक करने की जरुरत है।

नये खरीफ सोयाबीन फसल का एमएसपी 4,892 रुपये क्विंटल है जबकि बाजार में किसानों से लगभग 4,200 रुपये क्विंटल के भाव सोयाबीन की खरीद हो रही है। यानी पुराने एमएसपी से यह दाम 5-7 प्रतिशत नीचे है मगर नये एमएसपी से यह दाम लगभग 15 प्रतिशत नीचे है। किसानों को उम्मीद है कि कपास की ही तरह सरकार सोयाबीन की भी एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करेगी और इस कारण भी वह अपनी फसल बाजार में कम ला रहे हैं।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भी प्रदेश सरकार की कोशिश होगी कि कपास एमएसपी से नीचे दाम पर नहीं बिके और किसानों को उनकी लागत प्राप्त हो। हरियाणा सरकार ने पहले ही कह रखा है कि कपास के दाम एमएसपी से कम हुए तो वह एमएसपी पर किसानों की सारी कपास फसल खरीदेगी। यह सराहनीय कदम है।

सूत्रों ने कहा कि कपड़ा उद्योग, पॉल्ट्री उद्योग के संगठन और कई अन्य संगठन अपनी बातों को मजबूती से सरकार के सामने रखते हैं और अक्सर अपनी मांगे मनवा लेते हैं। लेकिन हमारा खाद्यतेल संगठन इस मामले में पिछड़ता रहा है और पिछले कई वर्षो में कोई मांग मनवा लेने का इतिहास नही दीखता।

उन्होंने कहा कि इन संगठनों की जो भी मंशा रही हो और चाहे जितने भी प्रयास किये हों, उसका कुल नतीजा यह निकला है कि देश निरंतर खाद्य तेल-तिलहन मामले में आयात पर निर्भर होता चला गया है और आयात पर लाखों करोड़ रुपये का खर्च बढ़ चला है।

उन्होंने कहा कि इन तेल संगठनों के प्रतिनिधि जब तेल-तिलहन विषय पर होने वाली परिचर्चाओं में भाग लेते हैं तो बजाय यह कहने के कि तेल-तिलहन की प्रति व्यक्ति खपत कम है और इससे मंहगाई पर विशेष असर नहीं होगा, वे कहते नजर आते हैं कि खाद्यतेल तिलहनों से मंहगाई बढ़ जायेगी। देश के तेल-तिलहन उद्योग की दुर्दशा पर वे शायद ही कभी चिंता जाहिर करते हों। इनका काम खाद्यतेलों के आयात-निर्यात के आंकड़े देना भर नहीं होना चाहिेये बल्कि देश के तेल-तिलहन उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने की ओर होना चाहिये।

जब सरकार खुद तेल-तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने की मंशा जताती है, ऐसे में तो इन तेल संगठनों को अपनी बात मनवाने में परेशानी नहीं होनी चाहिये।

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 200 रुपये बढ़कर 6,125-6,165 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 400 रुपये बढ़कर 12,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 55-55 रुपये की मजबूती के साथ क्रमश: 1,930-2,030 रुपये और 1,930-2,055 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 200-200 रुपये की मजबूती के साथ क्रमश: 4,500-4,530 रुपये प्रति क्विंटल और 4,310-4,435 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी प्रकार सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 350 रुपये, 275 रुपये और 350 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 10,450 रुपये, 10,050 रुपये तथा 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार रहा। मूंगफली तिलहन 50 रुपये की मजबूती के साथ 6,475-6,750 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 75 रुपये के सुधार के साथ 15,425 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 20 रुपये के सुधार के साथ 2,310-2,610 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 350 रुपये की मजबूती के साथ 9,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 400 रुपये के सुधार के साथ 10,325 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 400 रुपये के सुधार के साथ 9,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि बिनौला तेल में कारोबार नहीं के बराबर है पर कुछ त्योहारी मांग से भाव ऊंचा बोले जाने की वजह से यह 175 रुपये के सुधार के साथ 9,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

भाषा राजेश रमण

रमण

 

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