बेंगलुरु, 21 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कहा है कि इस्पात विनिर्माताओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और तकनीकी रूप से उन्नत होने के लिए अनुसंधान को लेकर भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे अग्रणी संस्थानों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है
उन्होंने कहा कि भारत का इस्पात क्षेत्र इसकी औद्योगिक ताकत की रीढ़ और राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है। बड़ी-बड़ी इमारतों से लेकर राजमार्गों तक, रेलवे से लेकर रक्षा तक, इस्पात हमारी प्रगति को शक्ति देता है।
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने बुधवार को यहां पुरस्कार समारोह के अवसर पर कहा, ‘‘विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी और तकनीकी रूप से उन्नत इस्पात उद्योग बनाने के लिए हमारे इस्पात विनिर्माताओं को शोध को लेकर आईआईएससी और आईआईटी जैसे अग्रणी संस्थानों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।
कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘विशेष इस्पात भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जहां अनुसंधान और नवोन्मेष समय की मांग है।’’
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है और इस्पात क्षेत्र इस परिवर्तन के केंद्र में रहेगा। यह भारत की मजबूती को प्रदर्शित करेगा और वैश्विक मंच पर इसके नेतृत्व को मजबूत करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इन सबके बावजूद अस्थिर बाजार, पर्यावरण अनुकूल उपायों और नवोन्मेष की जरूरत जैसी चुनौतियां भी बनी हुई हैं।’’
कुमारस्वामी ने कहा कि सरकार इस्पात उद्योग को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017 और विशेष इस्पात के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और स्क्रैप (कबाड़) पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने जैसे कदमों से क्षेत्र को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता साफ है।
भाषा रमण अजय
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