जूट संकट गहराया, ऑर्डर घटने से दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आया |

जूट संकट गहराया, ऑर्डर घटने से दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आया

जूट संकट गहराया, ऑर्डर घटने से दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आया

:   Modified Date:  June 25, 2024 / 08:07 PM IST, Published Date : June 25, 2024/8:07 pm IST

कोलकाता, 25 जून (भाषा) जूट उद्योग ग्राहकों से कम ऑर्डर मिलने के बाद संकट का सामना कर रहा है। ‘गोल्डन फाइबर’ कहे जने वाले जूट के दाम 5,000 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे आ गए हैं, जबकि 2024-25 सत्र के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,335 रुपये प्रति क्विंटल है।

कीमतों में यह बड़ी गिरावट जूट पर विशेषज्ञ समिति (ईसीजे) द्वारा उत्पादन में कमी के अनुमानों के बावजूद आई है, जिसका मुख्य कारण भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य खरीद एजेंसियों (एसपीए) द्वारा जीबीटी (गन्नी बर्लेप टेक्सटाइल) बैग के ऑर्डर में उल्लेखनीय कमी आना है।

जूट बेलर्स एसोसिएशन के ओम प्रकाश सोनी ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कच्चे जूट की कीमत में गिरावट आई है। नए कच्चे जूट मौसम (जून-जुलाई) के लिए कीमत आदर्श रूप से 5,800 रुपये होनी चाहिए थी, लेकिन यह घटकर 5,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है।’’

उन्होंने कहा कि उद्योग ऐसी स्थिति से जूझ रहा है, जो उसने दशकों में नहीं देखी है, मिलों के लिए ऑर्डर आधे हो गए हैं, जिससे केवल दो पालियों में और सप्ताह में केवल 4-5 दिन ही काम हो रहा है। 2023-24 में जूट के लिए एमएसपी 5,050 रुपये प्रति क्विंटल था।

सोनी ने कहा, ‘‘उद्योग में पहले का बचा (कैरीफॉरवर्ड) स्टॉक 30 लाख गांठ का होगा। इस मौसम में, किसानों को अपनी नई फसल के लिए संकट में बिक्री करनी होगी, जो एक महीने में आएगी।’’

केंद्रीय जूट ट्रेड यूनियनों ने मिलों के लिए कम ऑर्डर की स्थिति को उजागर करने के लिए पश्चिम बंगाल के श्रम मंत्री और जूट आयुक्त से मिलने का समय भी मांगा है, जिससे राज्य में इस क्षेत्र से जुड़े 2.5-3 लाख मिल श्रमिकों के रोजगार पर असर पड़ेगा।

उद्योग के दिग्गज और भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजय कजारिया ने कहा कि एफसीआई और एसपीए ने जीबीटी बैग के लिए अपने ऑर्डर में भारी कमी की है, जिसके परिणामस्वरूप मिलों के गोदामों में तैयार जूट की गांठ का अधिशेष हो गया है।

उन्होंने कहा कि कोई नया ऑर्डर न मिलने के कारण कई जूट मिलों को उत्पादन में कटौती करने और कम पालियों में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिससे उद्योग को गंभीर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

कजारिया ने कहा, ‘‘उत्पादन में गिरावट के ईसीजे के अनुमानों के बावजूद, कच्चा जूट 5,000 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम कीमत पर बेचा जा रहा है, जो एमएसपी से काफी कम है।

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए कि किसानों को उनकी उपज के लिए कम से कम एमएसपी तो मिले ही। इसमें एमएसपी का सख्त पालन और किसानों से सीधी खरीद की सुविधा शामिल है।’’

कजारिया ने कहा, ‘‘स्थिति को और गंभीर होने से रोकने के लिए, एफसीआई और एसपीए को बाजार को स्थिर करने और जूट उद्योग का समर्थन करने के लिए जीबीटी बैग के लिए अपने ऑर्डर बढ़ाने की जरूरत है।’’

उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को संकट से प्रभावित जूट किसानों और श्रमिकों को वित्तीय सहायता और सहयोग भी प्रदान करना चाहिए। इसमें सब्सिडी, वित्तीय सहायता पैकेज और वैकल्पिक आजीविका का समर्थन करने के लिए कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

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