नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) कर्नाटक में अटके पड़े नौकरी आरक्षण विधेयक पर अपनी टिप्पणी को लेकर मचे बवाल के बीच वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी फोनपे के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और संस्थापक समीर निगम ने रविवार को बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने कहा कि उनका कभी भी राज्य और उसके लोगों का अपमान करने का इरादा नहीं था।
यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि फोनपे को सोशल मीडिया पर आलोचना और बहिष्कार का सामना करना पड़ा था, जब निगम ने कर्नाटक सरकार के नौकरियों के लिए कोटा विधेयक की आलोचना की थी, जिसमें मूल रूप से निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव था।
यह प्रस्ताव फिलहाल निलंबित कर दिया गया है।
रविवार को एक निजी बयान जारी करते हुए निगम ने कहा कि फोनपे का जन्म बेंगलुरु में हुआ था और टीम को ऐसे शहर में अपनी जड़ों पर अविश्वसनीय रूप से गर्व है, जो अपनी विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी प्रतिभा और जीवंत विविधता के लिए जाना जाता है।
निगम ने कहा, “मैंने हाल ही में मीडिया में कुछ लेख पढ़े, जिनमें मैंने पिछले सप्ताह नौकरी आरक्षण विधेयक मसौदे के बारे में कुछ व्यक्तिगत टिप्पणियां की थीं। मैं सबसे पहले यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि कर्नाटक और उसके लोगों का अपमान करने का मेरा कभी इरादा नहीं था।”
उन्होंने कहा, “यदि मेरी टिप्पणियों से किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची है तो मैं सचमुच खेद व्यक्त करता हूं और आपसे बिना शर्त माफी मांगता हूं।”
पिछले हफ़्ते, निगम ने विवादास्पद और विधेयक पर एक पोस्ट किया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।
निगम ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था, “मैं 46 साल का हूं। 15 साल से ज़्यादा समय तक किसी राज्य में नहीं रहा। मेरे पिता ने भारतीय नौसेना में काम किया। पूरे देश में उनकी तैनाती हुई। उनके बच्चे कर्नाटक में नौकरी के लायक नहीं हैं? मैं कंपनियां बनाता हूँ। मैंने पूरे भारत में 25,000 से ज़्यादा नौकरियां पैदा की हैं! मेरे बच्चे अपने गृह नगर में नौकरी के लायक नहीं हैं? शर्म की बात है।”
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