नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) भारत और नीदरलैंड सेमीकंडक्टर बनाने के लिए प्रयोगशाला में तैयार हीरे का इस्तेमाल करने पर शोध में सहयोग कर सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव एस कृष्णन ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने सीआईआई भारत-नीदरलैंड प्रौद्योगिकी सम्मेलन में कहा कि प्रयोगशाला में तैयार हीरे का पारंपरिक व्यवसाय नीदरलैंड, बेल्जियम और भारत के सूरत जिले को आपस में जोड़ सकता है।
कृष्णन ने कहा कि जिस तरह प्रयोगशाला में बने हीरे को तराशा जा सकता है और हीरे के क्रिस्टल बनाये जा सकते हैं, वह प्रक्रिया सिलिकॉन कार्बाइड क्रिस्टल और सेमीकंडक्टर बनाने में उपयोगी अन्य क्रिस्टल बनाने समान है।
कृष्णन ने कहा, ”लोगों का मानना है कि हीरा और प्रयोगशाला में तैयार हीरे सेमीकंडक्टर के लिए बहुत उपयोगी अभिकारक (सब्सट्रेट) हो सकते हैं। यह शोध का एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे वास्तव में आगे बढ़ाया जा सकता है। ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें हम सहयोग कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि नीदरलैंड के साथ सहयोग देश के सेमीकंडक्टर लक्ष्य में बहुत अधिक मूल्यवर्धन लाता है, जहां एएसएमएल जैसी कंपनियां हैं, जो फोटोलिथोग्राफी मशीनें बनाती हैं, जिनका इस्तेमाल चिप बनाने के लिए किया जाता है।
कृष्णन ने कहा कि भारत में अब तक अनुसंधान पर ज्यादातर खर्च सरकार ने किया है और दुर्भाग्य से अनुसंधान पर उद्योग का खर्च लक्ष्यों के अनुरूप नहीं है।
आईटी सचिव ने कहा कि यदि उद्योग शोध पर निवेश करता है तो सरकार कुछ समय के लिए उस तकनीक के उपयोग के लिए विशेष अधिकार देने के लिए भी तैयार है।
भाषा पाण्डेय रमण
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