मुंबई, आठ नवंबर (भाषा) भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के चेयरमैन देबाशीष पांडा ने शुक्रवार को बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने की वकालत की।
इसके साथ ही पांडा ने कहा कि 2027 तक ‘सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत अधिक पूंजी की जरूरत है।
समाचारपत्र ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ के वार्षिक बीएफएसआई कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पांडा ने कहा कि बीमा अत्यधिक पूंजी जरूरत वाला क्षेत्र है लिहाजा देश को बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में और अधिक ‘खिलाड़ियों’ की जरूरत है।
भारत ने वर्ष 2000 में निजी और विदेशी निवेश की अनुमति देकर धीरे-धीरे बीमा क्षेत्र को खोलना शुरू किया था। फिलहाल साधारण, जीवन और स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है।
पांडा ने कहा, ‘‘हमें बहुत अधिक पूंजी की जरूरत है, जिसका अर्थ है कि हमें कई नई इकाइयों की आवश्यकता है। कुछ समेकन भी हो सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘अगर एफडीआई मार्ग भी खोला जाता है तो इससे घरेलू निवेश में भी वृद्धि होगी, अन्यथा घरेलू निवेश में कमी आ सकती है। शायद अब बीमा क्षेत्र को शत-प्रतिशत विदेशी निवेश के लिए खोलने का समय आ गया है। इससे अधिक खिलाड़ी इस क्षेत्र में आएंगे और बिना किसी भारतीय भागीदार की तलाश किए अपनी शर्तों पर काम कर सकेंगे।’
इसके साथ ही पांडा ने कहा कि 2047 तक ‘विकसित भारत’ की ओर देश की यात्रा में सबको बीमा सुविधा मुहैया कराना महत्वपूर्ण होगा।
उन्होंने कहा कि इरडा की पहल डिजिटल बीमा मंच ‘बीमा सुगम’ बीमा क्षेत्र में क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
भाषा अजय अजय प्रेम
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