(जोइता डे)
नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) व्यय सचिव मनोज गोविल ने रविवार को कहा कि वित्त मंत्रालय जल्द ही नीति आयोग और डीपीआईआईटी के परामर्श से ‘राज्यों के निवेश अनुकूलता सूचकांक’ से संबंधित मापदंडों पर फैसला करेगा। इसका उद्देश्य निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करना होगा।
आम बजट 2025-26 में प्रतिस्पर्धी सहकारी संघवाद की भावना को आगे बढ़ाने के लिए 2025 में ‘राज्यों का निवेश अनुकूलता सूचकांक’ पेश करने की घोषणा की गई।
यह सूचकांक राज्यों को नियमों की समीक्षा के लिए प्रेरित करेगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि निवेश को क्या रोक रहा है।
गोविल ने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि केंद्र के स्तर पर कई नियमन और सुधार किए गए हैं लेकिन कुछ निवेशकों को लगता है कि राज्य के स्तर पर भी इसी तरह के सुधारों की आवश्यकता है।
गोविल ने कहा, ”इस सूचकांक के पीछे मुख्य विचार राज्यों का दर्जा तय करना और यह बताना नहीं है कि कौन अच्छा है या बुरा। इसका उद्देश्य राज्यों को अपने स्वयं के नियमों, विनियमों और प्रक्रियाओं पर नजर डालने के लिए प्रेरित करना है। उन्हें यह पता लगाने में मदद करना है कि कौन से नियम निवेशकों को अरुचिकर, अव्यवहारिक या कठिन लगते हैं और निवेश हासिल करने में इसका राज्यों पर क्या प्रभाव पड़ता है।”
सूचकांक जारी करने की समयसीमा आर्थिक मामलों के विभाग और नीति आयोग के अलावा उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) मिलकर तय करेंगे।
गोविल ने कहा कि सभी राज्य अधिक निवेश चाहते हैं और इसके लिए वे अपने विनियमों की फिर से जांच करना चाहेंगे। इसी भावना से इस सूचकांक का विचार बजट में आया है।
उन्होंने कहा, ”सूचकांक बनाने के लिए हमें अभी भी मानदंड चुनने हैं। यह पत्थर की लकीर नहीं है।”
उदाहरण के लिए, अगर कुछ राज्यों में कारखाना स्थापित करने के इच्छुक निवेशक के लिए 15 प्रक्रियाएं हैं, जबकि कुछ राज्यों में केवल पांच प्रक्रियाएं हैं, तो पीछे चल रहे राज्य अग्रणी राज्यों का अनुकरण कर सकते हैं।
भाषा
पाण्डेय प्रेम
प्रेम
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